हमेशा ट्रेंड में रहती है असम की मूंगा सिल्क साड़ी, ये है खास विशेषताएं

0
2452
Assamese Muga Silk Saree

Report : Shweta Rai

असम का नाम सुनते ही खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, मनमोहक रंग, बिहू डांस के साथ-साथ मूंगा सिल्क हमारी आंखों के सामने आ जाते हैं। हमारी भव्य संस्कृति में असम का काफी योगदान रहा है जिसमें से मूंगा सिल्क एक है। मूंगा सिल्क आजकल काफी ट्रेंड में है। असम सिल्क ने लोगों के बीच अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि ये सदियों से मूंगा सिल्क यूरोपिअन देशों के ट्रेड का एक अहम हिस्सा रहा है।  ये सिल्क भारतीय फैब्रिक्स, हैंडलूम्स और बुनकरों की विशेषताओं में से एक है।

001असम में बनी मूंगा सिल्क की साड़ियां जितनी ज्यादा सुंदर होती है उतनी ही ज्यादा ये विदेशों में पसंद की जाती है इन साड़ियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बनाने के लिये जिस रेशमी कीड़ों का उपयोग किया जाता है। उसे मारा नहीं जाता,  इसलिये ये जितनी ज्यादा पुरानी होती है उतनी ही ज्यादा इनकी चमक बढ़ती जाती है। इन साड़ियों को घर पर भी आसानी के साथ धोया जा सकता है। इस साड़ी की देखरख करना बहुत जरुरी है। बता दें कि मूंगा साड़ियों को पूरा हाथा से बनाया जाता है।  इस कारण इसे बनाने में 15-45  दिन का समय लगता है।

4773 india electricity power supply 06 resultsक्या होती है मूंगा सिल्क?
पीली सी दिखनी वाली मूंगा सिल्क, उम्दा सिल्कों में से एक है। इस सिल्क को बनाने में जिस रेशम के कीड़े का इस्तेमाल होता है उसका वैज्ञानिक नाम Antheraea assamensis होता है। मूंगा सिल्क को इतनी कीमती इसकी शानदार चमक और मज़बूती बनाती है। समय के साथ इस सिल्क की चमक और कीमत दोनों ही बढ़ती गई। इसकी और एक खासियत है कि इस पर किसी तरह की कढ़ाई आसानी से की जा सकती है। जैसा कि इसके ऊपर पीले रंग की खूबसूरत परत चढ़ी होती है इसलिए इसे किसी तरह के डाई की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो किसी डाई का इस्तेमाल करने में भी कोई हर्ज नहीं होता है।

hqdefault

कहां बनती है मूंगा सिल्क?
मूंगा सिल्क ज़्यादातर असम के पश्चिम इलाकों में मौजूद गारोह हिल्स में तैयार की जाती है। ऐसा माना जाता है कि हर किसान 1000 कॉकून्स पर 125 ग्राम सिल्क तैयार करता है। इस सिल्क के इस्तेमाल से तैयार एक साड़ी बनाने में 1000 ग्राम मूगा सिल्क का इस्तेमाल हो जाता है। इसे तैयार काफी मुश्किल टेक्निक से तैयार किया जाता है इसलिए एक साड़ी तैयार होने में कम से कम दो महीने का समय लेती है। पारंपरिक रूप से मूंगा सिल्क को असम का परंपरिक पहनावा ‘मेहेलगा-सादर’ को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बदलते ट्रेंड की वजह से मूंगा सिल्क का इस्तेमाल कर कई डिज़ाइनर्स मॉर्डन आउटफिट भी तैयार कर रहे हैं। 2007 में मूगा सिल्क को Geographical Indication भी मिल चुका है।

%E0%A4%B9

डिजाइनर्स की भी है पसंद:
आज कई डिज़ाइनर्स इस सिल्क का इस्तेमाल कर कई खूबसूरत आउटफिट्स तैयार कर रहे हैं, जिनमें सबसे पहला नाम आता है मुंबई की डिज़ाइनर वैशाली शादानगुले का। जब बात मूगा सिल्क के ज़रिए बेहतरीन कट्स और सिलुएट्स की आती है तो वैशाली का कोई मेल नहीं। इनके अलावा, अब्राहम, ठाकोर और पायल प्रताप भी ऐसे डिज़ाइनर्स हैं जो इस सिल्क के शानदार इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं और इंडियन फैब्रिक में इनका योगदान काबिले तारीफ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here