दिल्ली की एक अदालत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के सिख विरोधी दंगे के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार को अदालत में पेश होने के लिए मंगलवार को वारंट जारी किया।

दिल्ली मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सज्जन कुमार की 28 जनवरी तक पेशी को लेकर यह वारंट तब जारी किया जब जेल अधिकारी उन्हें मंगलवार को पेश नहीं कर पाए। सज्जन कुमार दंगों के एक अन्य मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद मंडोली जेल में बंद हैं और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी है।

उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को सज्जन कुमार की ओर से दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अदालत में पेश होने के लिए 30 दिन की छूट देने की अपील की थी। इस मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, पूर्व नौ सेना अधिकारी कैप्टन (सेवानिवृत्त) भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य लोगों को भी एक नवंबर 1984 को दिल्ली कैंट इलाके के राजनगर में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था।

न्यायालय ने इस मामले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया लेकिन खोखर, भागमल और लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि दो पूर्व विधायकों महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई। इसके बाद मई 2013 में निचली अदालत के इस आदेश को सभी सजायाफ्ता लोगों ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की खंडपीठ ने सज्जन कुमार को सुनाई गई सजा के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई के बाद इससे पहले दिल्ली सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया था। इसबीच दिल्ली की अदालत ने आज सज्जन कुमार से संबंधित 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सुल्तानपुरी मामले की सुनवाई के बाद उन्हें 28 जनवरी को अदालत में पेश होने का वारंट जारी किया।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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