भूख, गरीबी, बेबसी न देश देखता है, न एहसान देखता है, न मानवता देखता है, उस समय वो बस अपना स्वार्थ देखता है। इस समय रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति ये डर भारत को भी सता रहा है। इसीलिए भारत सरकार किसी भी प्रकार का रिस्क सुरक्षा मानकों को देखते हुए नहीं लेना चाहती। आखिर में उनका डर सही साबित भी हो रहा है। अलकायदा का आतंकी समीउन रहमान ने पुलिस के सामने कबूला है कि उसका असली मकसद भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की एक फौज बनाकर उन्हें म्यांमार आर्मी के सामने खड़ा करना था। वह रोहिंग्या मुसलमानों की सेना बनाने के लिए मणिपुर या मिजोरम में ट्रेनिंग कैंप भी स्थापित करना चाहता था। इस फौज को हथियार अल-कायदा से मिलने थे।

सोमवार को पूर्वी दिल्ली से गिरफ्तार हुए इस आतंकी ने पुलिस के सामने कई राज खोले। रहमान ने बताया कि इस साजिश में डी-कंपनी भी उसका साथ दे रही है। उसने कहा कि डी-कंपनी का ऐक्टिव मेंबर बताने वाला फारूख नाम का एक शख्स ढाका जेल में उससे मिला था। उसने भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए हथियारों की सप्लाई देने को कहा था। यह मीटिंग 2016 में हुई थी। उसने कहा था कि जेल से बाहर आने के बाद वो डी-कंपनी के सदस्य रऊफ से मिले। इस बाबत स्पेशल सेल ने दाऊद के सहयोगियों के तौर पर रऊफ और फारूख की पहचान की पुष्टि की है।

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जांच एजेंसियां इस बात की जांच कर रही है कि   वह कहीं दिल्ली-एनसीआर में रामलीलाओं, दुर्गा पूजा, दशहरा या फिर दिवाली पर कोई आतंकवादी हमला तो नहीं करने वाला था? पुलिस ने मंगलवार को बताया कि रहमान 10 दिन पुलिस कस्टडी में रहेगा। पुलिस उसके साथियों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रही है। एजेंसियां उन लोगों को भी ढूढ़ रही है जिससे मिलने रहमान मणिपुर जाने वाला था। जांच एजेंसियों ने ढाका पुलिस से भी संपर्क किया है। वह जानना चाहती है कि जेल में रहमान के साथ कौन-कौन था। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में भी जुटी है कि इस काम में अलकायदा और डी-कंपनी को छोड़ और कौन-कौन से अन्य संगठन रोहिंग्या मुसलमानों को बहकाने में लगी हैं।

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बता दें कि खबर ये भी थी कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ म्यांमार में मची उथलपुथल का लाभ उठाने के लिए सक्रिय है। म्यांमार में संघर्ष से पलायन को मजबूर हो रहे रोहिंग्या मुसलमानों को आइएसआइ पश्चिम बंगाल व झारखंड में घुसपैठ कराने की साजिश रच रही है। खुफिया जानकारियों के मुताबिक इसके लिए कुछ दिनों पहले आइएसआइ के दो अधिकारी म्यामांर के राखाइन प्रदेश में भेजे गए हैं।

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