Article 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर Supreme Court में सुनवाई, 5 जजों की संविधान पीठ सुनेगी पूरा मामला

Article 370: न्यायालय ने विवरणिका तैयार करने और इसे 27 जुलाई से पहले दाखिल करने के लिए दोनों पक्षों की तरफ से एक-एक वकील नियुक्त किया था।

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Article 370 and Supreme Court news
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Article 370: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार से सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ बुधवार से रोजाना मामले की सुनवाई करेगी।

पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।मालूम हो कि पीठ ने 11 जुलाई को विभिन्न पक्षों द्वारा लिखित दलीलें और मामले की विवरणिका (कन्वीनिएंस कम्पाइलेशन) दाखिल करने के लिए 27 जुलाई की समय सीमा तय की थी।

Article 370 and Supreme Court
Supreme Court.

Article 370: मामले की रोजाना सुनवाई

Article 370: यहां 5 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर प्रतिदिन होगी। सोमवार और शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अन्‍य मामलों की सुनवाई होती है। ऐसे में इन दिनों में केवल नई याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाती है। नियमित मामलों की सुनवाई नहीं होती।
न्यायालय ने विवरणिका तैयार करने और इसे 27 जुलाई से पहले दाखिल करने के लिए दोनों पक्षों की तरफ से एक-एक वकील नियुक्त किया था। इसके साथ यह भी स्पष्ट कर दिया कि उक्त तिथि के बाद कोई भी दस्तावेज स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक विवरणिका अदालत को पूरे मामले का सार-संक्षेप देती है ताकि तथ्यों को शीघ्रता से समझने में सहायता मिल सके।

Article 370: 2019 में खत्म हुआ था विशेष राज्य का दर्जा

Article 370: पीठ के अनुसार 5 अगस्त 2019 को जारी अधिसूचना के बाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की स्थिति के संबंध में केंद्र की ओर से सोमवार को दाखिल हलफनामे का 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा संवैधानिक मुद्दे पर की जा रही सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मालूम हो कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।उसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों- 1. जम्मू और कश्मीर, 2. लद्दाख- में विभाजित कर दिया गया था। केंद्र के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसे 2019 में संविधान पीठ के पास भेज दिया गया था।

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