म्यांमार की नेता आंग सांन सू ची रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि रोहिंग्या समुदाय आतंकी हमलों में शामिल है। उन्होंने कहा कि जिन्हें म्यांमार में संरक्षण मिला उन्होंने ही म्यांमार में आतंकी हमले करवा दिए। बता दें म्यांमार से अब तक तकरीबन 4 लाख से ज्यादा रोहिंग्या देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं। जो अलग-अलग देशों में जाकर शरण ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में जो रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार लौटना चाहते हैं उनके लिए म्यांमार रिफ्यूजी वेरिफेकशन प्रोसेस के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि रोहिंग्या संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार की हो रही अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से उन्हें डर नहीं लगता है।उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के एक वर्ग पर पुलिस कार्रवाई और देश विरोधी काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम सभी मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करते हैं। हम चाहते हैं कि विश्व सिर्फ प्रभावित इलाकों के बारे में नहीं बल्कि हमारे पूरे देश के बारे में सोचे। आगे उन्होंने कहा कि जब 25 अगस्त को 30 पुलिस चौकियों पर हमला हुआ तो सरकार ने अकारन रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित किया। 

ऊन्होंने आगे बताया कि जो लोग पलायन कर रहे हैं, हम उनसे बात करना चाहते हैं। ऐसे में जिन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है। जो लोग म्यांमार वापस  आना चाहते हैं वे आ सकते हैं। हालांकि सू ची का मानना है कि ज्यादातर मुसलमानों ने रखाइन नहीं छोड़ा है और हिंसा अब खत्म हो गई है।

उन्होंने भाषण के दौरान कहा कि इस हिंसा के जो लोग जिम्मेदार हैं, उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिससे रखाइन में शांति बहाल हो सके। इसके अलावा उन्होंने कहा कि म्यांमार एक जटिल राष्ट्र है। लोग हमसे ये उम्मीद करते हैं कि हम कम से कम समय में सभी चुनौतियों से निपट लेंगे। हमने रखाइन में विकास और कानून व्यवस्था लागू करने के लिए केंद्रीय समिति बनाई है। जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव डॉक्टर कोफी अन्नान को आमंत्रित किया है।

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