B. R. Ambedkar को मरणोपरांत मिला था ‘भारत रत्न’, जानें इसके पीछे की कहानी

बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं।

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B. R. Ambedkar
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B. R. Ambedkar: देश के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर (B. R. Ambedkar) को आज के दिन यानी 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया था। इस सम्मान के साथ उन्हें देश और समाज के प्रति उनके अमूल्य योगदान को नमन किया गया। भारतीय लोकतंत्र में डॉ अंबेडकर की अहम भूमिका रही है, खास तौर से देश का संविधान रचने में।

B. R. Ambedkar
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साल 1951 में अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री भी बने लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। अंबेडकर ने दो शादियां की, उनकी पहली पत्नी रमाबाई अंबेडकर तथा दुसरी पत्नी डॉ. सविता अंबेडकर थी।

B. R. Ambedkar
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B. R. Ambedkar की पुस्तकें

बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों की सूची नीचे दी गई है।

  • भारत का राष्ट्रीय अंश
  • भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
  • भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
  • मूलनायक
  • ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
  • रुपए की समस्या: उद्भव और समाधान
  • ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
  • बहिष्कृत भारत
  • जनता
  • जाति विच्छेद
  • संघ बनाम स्वतंत्रता
  • पाकिस्तान पर विचार
B. R. Ambedkar
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बाबासाहेब अंबेडकर 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। 1936 में बाबासाहेब ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली थी।

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अंबेडकर ने अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। बता दें कि डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 में मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित हो गए थे और वह 1954 तक बहुत बीमार रहे थे। 6 दिसंबर 1956 को उन्होंने अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली थी।

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