Bhagat Singh 91th Death Anniversary: फांसी से पहले भगत सिंह ने क्या कहा था? पढ़ें उनके अनमोल विचार

जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता'

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Bhagat Singh 91th Death Anniversary
Bhagat Singh 91th Death Anniversary

Bhagat Singh 91th Death Anniversary: आजादी के दीवाने, महान क्रांतिकारी और शहीद ए आजम भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) की आज पुण्यतिथि है। देश आज भगत सिंह की 91वीं पुण्यतिथि मना रहा है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर में हुआ था। जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में है। उन्हें 23 मार्च को 1931 में लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। अपनी फांसी से पहले भगत सिंह Revolutionary Lenin किताब पढ़ रहे थे। वे किताब के बहुत प्रेमी थे। भगत सिंह ऐसे क्रांतिकारियों में से एक रहे, जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। आजादी की इस लड़ाई में उन्होंने अपनी जान न्योछावर कर दी।

Bhagat Singh 91th Death Anniversary: भगत सिंह का आखिरी संदेश

Bhagat Singh 91th Death Anniversary
Bhagat Singh 91th Death Anniversary

उनकी फांसी के 16 साल बाद भारत से अंग्रेजी हुकूमत का नाम खत्म हुआ। फांसी से पहले भगत सिंह ने भारतीय को संदेश देते हुए कहा था…

“साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद”

महज 23 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत का सूर्यास्त करने वाले भगत सिंह का नारा सुनते ही युवाओं में जोश भर जाता है। उनके नारे काफी मशहूर हैं।

“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मै एक ऐसा पागल हूं, जो जेल मे भी आजाद हूं।”- भगत सिंह

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  • जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता’
Bhagat Singh 91th Death Anniversary:
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  • ‘मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी’हूँ’
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  • ‘राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।’
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  • ‘मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।’
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  • ‘ मेरे सीने पर जो जख्म हैं, वो सब फूलों के गुच्छे हैं, हमको पागल रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।’
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  • ‘आज जो मै आगाज लिख रहा हूँ, उसका अंजाम कल आएगा। मेरे खून का एक एक कतरा कभी तो इन्कलाब लाएगा।’
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  • ‘जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।’
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  • ‘जरूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।’
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  • ‘व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।’
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  • ‘बड़े बड़े साम्राज्य तहस नहस हो जाते हैं, पर विचारों को कोई ध्वस्त नहीं कर सकता’

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