प्रसिद्ध गांधीवादी और बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर धर्माधिकारी का गुरुवार सुबह यहां निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। मध्य प्रदेश के रायपुर में 20 नवंबर 1927 को जन्मे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) धर्माधिकारी ना केवल देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन में सक्रिय रहे बल्कि वह एक वकील, न्यायाधीश और लेखक भी रहे। उन्हें वर्ष 2003 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

धर्माधिकारी बॉम्बे उच्च न्यायालय के प्रभारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। उन्होंने हिंदी, मराठी तथा गुजराती भाषाओं में कई पुस्तकें भी लिखीं। धर्माधिकारी के पिता को 1930, 1932 और 1942 में अंग्रेज सरकार ने हिरासत में लिया  था और उनकी माँ ने 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और लगभग तीन साल तक जेल में रहीं। वर्ष 1935 में, वह वर्धा चले गए जहाँ वह कई स्वतंत्रता सेनानियों के केंद्र बजाजवाड़ी में रहे।

अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, धर्माधिकारी ने वर्धा स्थित नव भारत विद्यालय में प्रवेश लिया, जिसे महात्मा गांधी के प्रभाव के कारण स्थापित किया गया था।

नागपुर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ से एल.एल.बी पूरा करने के बाद धर्माधिकारी ने 25 अक्टूबर 1956 को नागपुर हाईकोर्ट में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरूआत की इसके बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय में 21 जुलाई 1958 तथा इसके बाद उच्चतम न्यायालय में 20 जुलाई 1959 को वकील के प्रैक्टिस शुरू की।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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