संयुक्त राष्ट्र की बच्चों से संबंधित एजेंसी यूनिसेफ द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत में बीते दस सालों में बाल विवाह की दर में तेजी से कमी आई है। यूनिसेफ ने इस कमी के पीछे का कारण लड़कियों की शिक्षा की ओर बढ़ती रुचि, बाल विवाह की अवैधता और उसके नुकसान को लेकर मजबूत जन जागरुकता को बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आज से 10 साल पहले 47 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले ही कर दिया जाता था, लेकिन अब ये प्रतिशत घटकर 27 प्रतिशत हो गया है।

यूनिसेफ ने इस रिपोर्ट में 2006 के आंकड़ों की तुलना 2016 से की है, जिसके अनुसार दुनिया भर में बाल विवाह की दर 50% से घटकर 30% रह गई है लेकिन इसके बावजूद भी भारत में बाल विवाह करने वालों की संख्या 2.6 करोड़ है, जो की विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा है। बता दे, ये नतीजे यूनिसेफ की ओर से बाल विवाह पर जारी की गई रिपोर्ट से निकले हैं।

सरकार के बाल विवाह की ओर कठोर रुख के बाद भी भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान ऐसे राज्य हैं, जहां बाल विवाह की दर 40% से ऊपर है। लेकिन इस मामले में तमिलनाडु और केरल बेहतर हैं, जहां ये दर 20% से कम है।

रिपोर्ट के मुताबिक बाल विवाह के घटने की दर संतोषजनक है। 2050 तक दुनियाभर में ये दर गिरकर 10% तक घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। बाल विवाह के मामले में सबसे खराब स्थिति अफ्रीकी देशों की है, जहां इसकी दर 40% से भी ऊपर है।

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