भारत से बिना किसी कारण विवाद मोल लेकर चीन अलग-थलग पड़ गया है। अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने उससे दूरी बना ली है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार को भी अब अहसास हो गया है कि भारत के सामने टिकना उसके लिए मुश्किल है।

ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख के माध्यम से एक तरह से चीन ने अपनी हार मानते हुए हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व को स्वीकार किया है। लेख में कहा गया है कि हिंद महासागर में भारत को अद्वितीय भौगोलिक लाभ प्राप्त हैं। सीमा विवाद के बीच चीन का भारतीय प्रभुत्व को स्वीकार करना दर्शाता है कि बीजिंग के खिलाफ मोदी सरकार की रणनीति कारगर साबित हुई है।

चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में 17 दिसंबर को ‘वैश्विक महत्वाकांक्षा के लिए बहुपक्षीय तंत्र के प्रति भारत का बदलता रवैया’ शीर्षक के साथ एक लेख छपा है। इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक हू शीशेंग द्वारा लिखे इस लेख में कहा गया है कि भारत ने हिंद महासागर में बहुपक्षीय सहयोग तंत्र की योजना बनाने का बीड़ा उठाया है। इस क्षेत्र में भारत को अद्वितीय भौगोलिक लाभ प्राप्त हैं।

गुरुग्राम स्थित भारत का Information Fusion Centre हिंद महासागर में जहाजों की आवाजाही पर नजर रखता है। यह केंद्र क्षेत्र की वास्तविक समय की जानकारी के लिए नोडल केंद्र के रूप में उभर रहा है।

अमेरिका और फ्रांस ने अपने संपर्क अधिकारियों को यहां पहले ही भेज दिया है। इसके अलावा, कई अन्य देश भी इसमें शामिल हो रहे हैं। अपने रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत भारत ने 11 देशों को मोबाइल ट्रेनिंग टीम दी हैं, जिनमें वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार भी शामिल हैं।

इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन कई देशों का एक बहुपक्षीय संगठन है। 1997 में गठित किए गए इस संगठन में वर्तमान में 22 देश इसके सदस्य हैं और 10 देश संवाद भागीदार के रूप में इसमें शामिल हैं। भारत आईओआरए के संस्थापक सदस्यों में से एक है।

आईओआरए एक सुरक्षित, विश्वसनीय और स्थिर क्षेत्र की स्थापना के लिए संवाद आधारित दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक मंचों में से एक है, जो सभी को साझा समृद्धि प्रदान करता है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here