वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2019-20 का अंतरिम एक फरवरी को पेश करेंगे। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि 2019-20 के लिए अंतरिम बजट तैयार करने का काम पहले ही शुरू हो चुका है और अब यह गति पकड़ रहा है। मंत्रालय बजट भाषण के लिए पहले ही विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से अपनी राय देने को कह चुका है। साल 2019 के आम चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली वर्तमान एनडीए सरकार का यह आखिरी बजट होगा

पिछले महीने मंत्रालय ने 2019-20 के बजट के लिए कवायद शुरू की। इसके तहत वर्तमान वित्त वर्ष के लिए संशोधित व्यय एवं अगले वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्च को अंतिम रूप देने के लिए इस्पात, बिजली और आवास एवं शहरी विकास मंत्रालयों समेत अन्य विभागों के साथ बैठकें हुई। मंत्रालय 3 दिसंबर से मीडियाकर्मियों के नार्थ ब्लाक में प्रवेश पर रोक लगाएगा। यह रोक एक फरवरी, 2019 को बजट को पेश किये जाने तक रहेगा। नार्थ ब्लाक में वित्त मंत्रालय का कार्यालय है। जेटली लगातार छठे साल बजट पेश करेंगे। उल्लेखनीय है कि चुनावी साल में जरूरी सरकारी खर्चों के लिए लेखानुदान लाया जाता है और नयी सरकार पूर्ण बजट लाती है।

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने घटाया यूपीए शासन का विकास

केंद्र सरकार ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल के शासनकाल में देश की आर्थिक विकास दर का आंकड़ा घटा दिया। नए तरीके से की गई गणना के बाद जारी आंकड़ों में यूपीए शासनकाल की जीडीपी में लगभग हर साल करीब 1 फीसदी की कमी कर दी गई है। इस कवायद के लिए सरकार ने अर्थव्यवस्था के विकास की सही तस्वीर पेश करने का तर्क दिया है। लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हुई इस कार्रवाई के चलते राजनीतिक घमासान मचने के आसार खड़े हो गए हैं।

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार और सांख्यिकी मंत्रालय सेक्रेटरी प्रवीण श्रीवास्तव ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से तैयार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का बैक सीरीज डाटा जारी किया। उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादा क्षेत्र शामिल किए गए हैं, ताकि जीडीपी की गणना ठीक से हो। सरकार ने 2004-05 के बदले जीडीपी का साल बदलकर 2011-2012 किया है। बता दें कि जनवरी, 2015 में सरकार ने राष्ट्रीय खातों के लिए 2004-05 के बजाय 2011-12 को आधार वर्ष घोषित किया था। इससे पहले 2010 में यूपीए सरकार ने आधार वर्ष को बदला था। राजीव कुमार ने कहा कि इस आंकड़े में ताजा सर्वेक्षण और जनगणना के डाटा को शामिल किया गया है। इसके अलावा नई सीरीज के रिटेल और थोक महंगाई के आंकड़े भी जोड़े गए हैं। इसमें स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड कंपनी, सेबी, पीएफआरडीए और आईआरडीए को भी शामिल किया गया है। कुमार के मुताबिक, 2004-05 और 2011-12 के बेस ईयर बदलने पर एक कमेटी ने जीडीपी में 3 लाख करोड़ का अंतर बताया था।

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