Delhi-NCR कचरा मुक्‍त करने के साथ ही Green Environment का दिया संदेश

Green Environment: परियोजना को साल 2018 से दिल्ली एनसीआर में 100 से अधिक जगहों और संस्थानों में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है। वर्ष 2022-23 में 50 नई जगहों को भी इसमें शामिल किया गया है।

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Green Environment: दिल्‍ली-एनसीआर में बढ़ते कूड़े के अंबार को कम करने और लोगों में हरित पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोजेक्‍ट SORT शुरू किया गया। SORT यानी (Segregation of Organic Waste for Recycling and Treatment) का चौथा चरण शुरू किया गया।

इस प्रोजेक्‍ट के सफलतापूर्वक समाप्‍ति के मौके पर समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में एमसीडी दिल्‍ली के अतिरिक्त आयुक्त समेत अमित कुमार शर्मा, आईआरएस रूबल सिंह, सहायक आयुक्त शाहदरा दक्षिण क्षेत्र एमसीडी और मनीष मीणा सहायक आयुक्त, पश्चिम क्षेत्र एमसीडी भी मौजूद थे।

दिल्‍ली-एनसीआर में बढ़ते कूड़े के अंबार को कम करने और लोगों में हरित पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोजेक्‍ट शुरू किया गया।दिल्ली-एनसीआर के अपशिष्ट संग्राहक, संस्थान और समाज के लोगों को उनके उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन के लिए सम्‍मानित किया गया।

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Green Environment:100 से अधिक जगहों पर प्रोजेक्‍ट कर रहा काम

Green Environment:परियोजना को साल 2018 से दिल्ली एनसीआर में 100 से अधिक जगहों और संस्थानों में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है। वर्ष 2022-23 में 50 नई जगहों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस पहल का विजन और मिशन स्वच्छ भारत मिशन के अनुरूप है, जो भारत सरकार का प्रमुख अभियान है। परियोजना दिल्ली के 6 क्षेत्रों के 34 स्थानों में लागू की गई थी।

परियोजना के तहत वर्ष 2022-23 तक 500 मीट्रिक टन जैविक/गीला कचरा सोसाइटियों/संस्थाओं के परिसरों से एकत्रित किया गया।जिससे बाद में 70 मीट्रिक टन कम्पोस्ट तैयार किया गया।

Green Environment:जैविक कचरे का ऑनसाइट उपचार

Green Environment: परियोजना का मुख्य उद्देश्य एरोबिन कंपोस्टर के माध्यम से कचरे को अलग करना और जैविक कचरे का ऑनसाइट उपचार करना था।इसके जरिये लोगों को स्‍वच्‍छ वातावरण
और हरित पर्यावरण की जानकारी भी दी गई। इस परियोजना की खासियत थी कि लोगों ने खुद ही इसका संचालन किया। जीरो वेस्‍ट के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए लोगों को जागरूक भी किया गया।इस दौरान अपने सर्वश्रेष्‍ठ योगदान के लिए एमसीडी के अतिरिक्त आयुक्त की ओर से लोगों को सम्मानित और पुरस्कृत भी किया गया।इस मौके पर निगम के उच्‍चाधिकारियों ने लोगों से आगे आने की अपील की।

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इस दौरान दिए गए प्रशिक्षण के माध्यम से कचरे की मात्रा को कम करने के तरीके भी बताए गए, ताकि लैंडफिल कम ही मात्रा में कूड़ा पहुंच सके।इस मौके पर आईपीसीए के संस्‍थापक निदेशक आशीष जैन ने कहा ने कचरे के दुष्‍प्रभाव की जानकारियां साझा कीं।

उपनिदेशक डॉ. राधा गोयल ने कहा कि देश में प्रतिदिन 1,60,000 टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। फिर भी संग्रह दर केवल 50% है। उन्‍होंने कहा कि प्रोजेक्‍ट को 128 स्थानों पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है। जो प्रभावी रूप से अपशिष्ट में कमी और पुनर्चक्रण में योगदान देता है।

डॉ. राधा ने आईपीसीए के विजन को दोहराया, जो एरोबिक कंपोस्टिंग जैसी कुशल तकनीकों के माध्यम से पूरे भारत में प्रत्येक हितधारक को विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाने पर जोर देता है। इससे न केवल अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या का समाधान होगा बल्कि लैंडफिल पर कचरे के परिवहन और प्रसंस्करण के कारण जीएचजी उत्सर्जन को कम करके पर्यावरण को कई तरह से संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

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