Indian Currency: लगातार कमजोर हो रहा है रुपया, 80 रुपये के पार हुआ डॉलर

जब कच्चे तेल का आयात महंगा होने लगता है तो इससे महंगाई बढ़ने लगती है और हमारे देश को नुकसान होगा साथ ही भारत में सब्जियां और खाद्य पदार्थ जैसी चीजें महंगी होने लगेंगी। वहीं, भारतीयों को डॉलर में पेमेंट करना भी भारी पड़ेगा और विदेश घूमना भी महंगा हो जाएगा साथ ही विदेशों में पढ़ाई करनी भी महंगी पड़ेगी

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Indian Currency: भारतीय रुपये का लगातार टूट रहा रिकॉर्ड, 80 रुपये के पार हुआ डॉलर
Indian Currency: भारतीय रुपये का लगातार टूट रहा रिकॉर्ड, 80 रुपये के पार हुआ डॉलर

Indian Currency: भारतीय रुपये ने मंगलवार को यानी आज निचले स्तर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है जो कि पहली बार 80 के पार खुला है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 4 पैसे कमजोर होकर 80.01 रुपए प्रति डॉलर खुला है। इससे पहले बीते सोमवार को डॉलर के मुकाबले 79.97 रुपये पर बंद हुआ था। बात करें पिछले एक महीने की तो महीनेभर में ही रुपया 2 फीसदी से भी ज्यादा टूट चुका है। वहीं, एक साल में रुपए डॉलर के मुकाबले 7.4 फीसदी नीचे गिर गया है।

Indian Currency: सरकार ने ‘रूस-यूक्रेन युद्ध’ को ठहराया जिम्मेदार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में रुपये के टूटने का कारण रूस-यूक्रेन के युद्ध को बताया हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ग्लोबल फैक्टर, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन्स बढ़ने लगती हैं वैसे ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने लगता है।

ATM dispenses Rs 500 currency notes without serial numbers
Indian Currency: सरकार ने ‘रूस-यूक्रेन युद्ध’ को ठहराया जिम्मेदार

Indian Currency: आखिर कैसे करेंसी की कीमत तय की जाती है ?

बता दें कि करेंसी के उतार-चढ़ाव के कई कारण होते हैं। डॉलर की तुलना में किसी भी दूसरे करेंसी की वैल्यू कम होने लगे तो इसे उस करेंसी का गिरना, टूटना, कमजोर होना माना जाता है और इसे अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन कहा जाता है। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा के घटने और बढ़ने से उस देश की मुद्रा की कीमत तय होती है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर अमेरिका के रुपये के बराबर है तो रुपये की कीमत स्थिर रहेगी। डॉलर के घटने से रुपये मजबूत होता है।

कैसे होगा नुकसान या फायदा?

जब कच्चे तेल का आयात महंगा होने लगता है तो इससे महंगाई बढ़ने लगती है और हमारे देश को नुकसान होगा साथ ही भारत में सब्जियां और खाद्य पदार्थ जैसी चीजें महंगी होने लगेंगी। वहीं, भारतीयों को डॉलर में पेमेंट करना भी भारी पड़ेगा और विदेश घूमना भी महंगा हो जाएगा साथ ही विदेशों में पढ़ाई करना भी महंगा पड़ेगा।

Rupee vs Dollar
RIndian Currency: कैसे संभलती है मुद्रा की कमजोर स्थिति?

वहीं, निर्यात करने वालों को फायदा होगा क्योंकि पेमेंट डॉलर में मिलेगा। जिसे वह रुपए में बदलकर ज्यादा कमाई कर सकेंगे। इससे विदेश के IT और फार्मा कंपनी को सबसे ज्यादा मुनाफा होगा। बता दें कि फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में अधिकांश मुद्राओं की तुलना डॉलर से होती है और इसके पीछे विश्व युद्ध ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ के दौरान हुआ था। इसमें एक न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि, उस वक्त अमेरिका अकेला एक ऐसा देश था जो आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था। ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के तौर पर चुना गया था।

Indian Currency: कैसे संभलती है मुद्रा की कमजोर स्थिति?

मुद्रा की कमजोर स्थिति को संभालने में किसी भी देश के केंद्रीय बैंक का अहम रोल होता है और भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास इसकी कमान है। वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर खरीदकर बाजार में उसकी मांग पूरी करने की कोशिश करता है। इससे डॉलर की कीमतें रुपए के मुकाबले को स्थिर करने में मदद मिलती है।

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