केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में अभ्यर्थियों की उम्र-सीमा कम करने की नीति आयोग की सिफारिश वाली खबर पर विराम लगा दिया है। जितेंद्र सिंह ने कहा है कि सिविल सेवा परीक्षाओं में आयु सीमा में बदलाव को लेकर सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बता दें कि हाल में नीति आयोग ने न्यू इंडिया के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की थी, जिसमें सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु कम करने की सिफारिश की गई थी। साथ ही सिविल सर्विसेज की परीक्षा से लेकर बुनियादी शिक्षा में भी कई बदलाव करने की हिमायत की गई थी।

नीति आयोग की रिपोर्ट ‘स्ट्रैटेजी फॉर न्यूइंडिया @75’ में कहा गया था कि सिविल सर्विसेज के जनरल उम्मीदवारों की अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए। वहीं नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि सभी सिविल सेवाओं के लिए केवल एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए।

नीति आयोग ने यह भी कहा था कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर मौजूदा 60 से अधिक अलग-अलग सिविल सर्विसेज सेवाओं को कम करने की जरूरत है। वहीं इस रिपोर्ट में लेटरल एंट्री को भी बढ़ावा देने की बात कही गई थी। नीति आयोग का सुझाव है कि सरकार के उच्च पदों पर विशेषज्ञों के शामिल होने से गुणवत्ता प्रदान होगी। बता दें कि इससे पहले सरकार ने लेटरल एंट्री के तहत जॉइंट सेक्रेटरी पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे।

इस समय सिविल सेवा परीक्षा में न्यूनतम आयु सीमा 21 और अधिकतम 32 वर्ष है। इससे पूर्व बासवन कमेटी भी आयु सीमा में कटौती की संस्तुति कर चुकी है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा सिविल सेवा परीक्षा में सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) लागू कर इसके प्रारूप में व्यापक बदलाव किया गया था। केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद प्रतियोगी छात्रों ने 2014 में राजधानी दिल्ली सहित अन्य शहरों में इसके खिलाफ जमकर आंदोलन किया था।

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