केंद्र की मोदी सरकार सहित देशभर में बीजेपी शासित राज्य सरकारें भले ही किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं और उनकी हर मांगों को पूरा करने की हरसंभव कोशिश कर रही है लेकिन अभी भी परिणाम शून्य है क्योंकि किसान आंदोलित हैं। आज अपने 15 सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच सोमवार को बातचीत बेनतीजा रही। इसके बाद मंगलवार को हजारों संख्या में किसान दिल्ली में प्रवेश करने पर अड़े हैं। अपनी मांगों को पूरी करवाने के लिए हरिद्वार से चला हजारों किसानों का काफिला अब दिल्ली की सरहद तक पहुंच गया है। मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई वाला मार्च गाजियाबाद पहुंचा और यहां पर पुलिस से झड़प हुई। यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस ने यहां पर बैरिकैडिंग कर दी थी, जहां किसान और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े।
हमारे प्रधानमंत्री ने संकल्प लिया है २०२२ तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने का। सरकार ने इसके लिए कई क़दम उठाए हैं जिनमे सबसे बड़ा है फ़सलों के समर्थन मूल्य को लागत का डेढ़ गुना घोषित करना। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना भी एक बड़ा क़दम है।
— राजनाथ सिंह (@rajnathsingh) September 30, 2018
किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर रही है। दिल्ली सीमा पर स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है। किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए पुलिस लगातार बल प्रयोग कर रही है। किसानों को रोकने के लिए गाजीपुर बॉर्डर, महाराजपुर बॉर्डर और अप्सरा बॉर्डर पर पुलिस खासतौर से चौकस है। गाजीपुर बॉर्डर को तो पुलिस ने पूरी तरह सील कर रखा है, जबकि महाराजपुर और अप्सरा बॉर्डर पर भी बैरिकेडिंग करके आने-जाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
दूसरी तरफ राजनाथ सिंह किसान नेताओँ से बातचीत कर रहे हैं। बता दें कि कर्जमाफी और बिजली बिल के दाम कम करने जैसी मांगों को लेकर किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार से आरंभ हुई थी। जिसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों से गुजरते हुए किसान सोमवार (1 अक्टूबर) को गाजियाबाद तक पहुंच गए। जहां इन किसानों को रोक दिया गया।