सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल और किसानों के मुद्दे पर फिर दिल्ली में आंदोलन करेंगे। अन्ना ने फिर से आंदोलन के लिए शहीद दिवस की तारीख को चुना है। वें इस आंदोलन की शुरुआत 23 मार्च से करेंगे। इस दिन शहीद दिवस मनाया जाता है। बता दें कि अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि की एक सभा में इसका एलान किया।
लोकपाल के चेहरा रहे अन्ना ने कहा कि कुछ दिन पहले ‘जनलोकपाल, किसानों की समस्या और चुनाव में सुधार जैसे कई मुद्दों को लेकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर खत लिखा, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
उन्होंने कहा, पिछले 22 सालों में कम से कम 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। मैं जानना चाहता हूं कि इस कालखंड में कितने उद्योगपतियों ने आत्महत्या की। अन्ना भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए जनलोकपाल का गठन करने की मांग करते रहे हैं। जिसके लिए अन्ना ने अगस्त 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान पर 12 दिन तक अनशन किया था। इस आंदोलन में देशभर के हजारों लोग शामिल हुए थे। आंदोलन को बढ़ता देख यूपीए सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया था। जिसके बाद यूपीए सरकार ने लोकपाल विधेयक पारित किया।
अन्ना के एक सहयोगी ने बुधवार को बताया कि मोदी सरकार ने अब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं की। सरकार ने इसके लिए कुछ तकनीकी वजहें बताई हैं। लोकपाल एक्ट के मुताबिक, लोकपाल के सिलेक्शन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) या सुप्रीम कोर्ट के नॉमिनेट जज की कमेटी बनाई जानी चाहिए। वही समिति लोकपाल को चुने। उन्होंने कहा, ‘लोकसभा में फिलहाल विपक्ष का कोई नेता नहीं है इसलिए समिति का गठन नहीं हो सकता है। ऐसे में लोकपाल की नियुक्ति भी नहीं हो सकती है।’ केंद्र सरकार ने भी हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को यही वजह बताई है।
आपको बता दें कि नियम के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता के लिए किसी पार्टी को 543 की 10% सीटें (यानी 54 सीटें) जीतना जरूरी है। फिलहाल, बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा 44 सीटें कांग्रेस की हैं, जो 10% से कम हैं।