बम-बम भोले, हर-हर महादेव जैसे गूंजों के साथ आज पूरा देश महाशिवरात्रि का पर्व मना रहा है। काशी समेत पूरा देश भगवान शिव के ध्यान में लीन हो गया।  काशी विश्वनाथ मंदिर में रात से ही रेला उमड़ा तो भोर से ही दो किलोमीटर के दायरे में कतार लग गई। सुबह दस बजे तक 75 हजार से अधिक लोगों ने दर्शन-पूजन कर लिया। शहर से लेकर गांव तक मंदिरों में भक्तों का रेला उमड़ता रहा। इससे मार्कडेय महादेव, रामेश्वर महादेव, शूलटंकेश्वर महादेव समेत शिवालयों का दायरा कम पड़ता रहा। हालांकि 13 व 14 के भ्रम में पिछले साल से भीड़ कम रही। बैरिकेडिंग में खड़े श्रद्धालु हर-हर महादेव और हर-हर बम-बम का जयकारा लगाते मंदिर का पट खुलने का इंतजार करते रहे।

काशीपुराधिपति देवाधिदेव महादेव के विवाह उत्सव के लिए सजकर तैयार हुई काशी में देश के कोने-कोने से भक्तों का रेला सोमवार की रात से ही उमड़ पड़ा।  मंगला आरती के बाद भोर में 3:30 बजे मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। फिर बाबा विश्वनाथ बुधवार की रात शयन आरती होने तक अनवरत 44 घंटे भक्तों को दर्शन देंगे।

बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने में लग गए हैं। कोई भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूरे दिन उपवास रखा है तो कोई गंगा जल चढ़ा रहा है। यदि आप मंदिर जा रहे हैं तो सभी सामग्री लेकर जाएं और यदि घर पर शिवलिंग पूजा करने वाले हैं तो ‘पारद शिवलिंग’ अवश्य ले आएं। इसी शिवलिंग से आप विधिवत पूजन करेंगे तो भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होंगे। हर साल में 12 शिवरात्रियां आती हैं, जो कि हर माह की चौदहवीं तिथि को मनाया जाता है लेकिन फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा व अभिषेक करने का प्रावधान है। कई लोग जल से अभिषेक करते हैं और कुछ लोग दूध से। कुछ लोग सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों या तीर्थों में स्नान करते हैं। शिवरात्रि की रात जागरण करने की मान्यता भी है। कहीं-कहीं पर आज के दिन मंदिरों से भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है। कई स्थानों पर मंडप लगाकर शिव-पार्वती का विवाह भी करवाया जाता है।

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