नोटबंदी और जीएसटी के कारण देश में मचे घमासान के बाद अब मोदी सरकार सहित पूरी देश के लिए खुशखबरी है। मोदी सरकार के नीतियों का सकारात्मक फल अब देश को मिलने लगा है। जी हां, वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान देश में इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स का उत्पादन पहली बार आयात से आगे निकल गया है। 2016-17 में भारत में 49.5 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाए गए जो उनके आयात पर खर्च होने वाले 43 अरब डॉलर से ज्यादा है। बता दें कि तेल के बाद देश का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स के आयात पर ही खर्च किया जाता है। ऐसे में भारत के लिए यह एक शुभ संकेत है कि अगर वो इसी रफ्तार से मेक इऩ इंडिया के नीति पर चलता रहेगा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के आयात में शून्य हो जाएगा।

ऐसा पहली बार हुआ है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन में हम आयात से अधिक निकल गए हैं। उत्पादन में हुई इस वृद्धि से भारत सरकार को भी विदेशी मुद्रा बचाने के मोर्चे पर राहत मिली है। बता दें कि सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। खासतौर पर स्मार्टफोन, अप्लायंसेज, सेट-टॉप बॉक्स और टेलिविजन आदि के उत्पादन पर जोर दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने कंपनियों को कई वित्तीय प्रोत्साहन दिए हैं। साथ ही उसने मोबाइल फोन, माइक्रोवेव ओवन, एलईडी लाइट और सेट-टॉप बॉक्स जैसे कई उत्पादों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी भी की।

इसी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में वृद्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा कि इस रफ्तार को बरकरार रखा जाएगा। देखना ये है कि क्या चीनी सामानों की बिक्री की जो मांग भारत में है उसे रोकने में मोदी सरकार कामयाब हो पाएगी या नहीं। इसके लिए सरकार को उत्पादन के साथ-साथ सामानों को सस्ता भी करवाना होगा।

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