मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। मुजफ्फरपुर कांड के खुलासे के बाद से हीं मंजू वर्मा चर्चा में थी। अब इस्तीफे के बाद मंजू वर्मा के साथ-साथ उनका स्ट्रैंड रोड पर स्थित बंगला नंबर 6 चर्चा में आ गया है। बंगले को अब मनहूस करार दिया जा रहा है। बंगले को मनहूस बतानेवालों के अपने तर्क भी हैं ।
तर्क दिलचस्प भी है और उसमें दम भी है। पिछले कुछ वर्षों में इस बंगले में जो भी मंत्री रहने आया है उसे अपनी कुर्सी बीच में हीं गंवानी पड़ी। यहां रहनेवाले पिछले 3 मंत्रियों के साथ एक जैसा ही हुआ। मंत्री रहते कोई अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। इस मामले में दिलचस्प तथ्य यह भी है कि मंत्री की कुर्सी गंवानेवाले तीनों नेता कुशवाहा जाति से हैं।
पहला मामला 2015 में सामने आया। जेडीयू नेता और उत्पाद विभाग के मंत्री अवधेश कुशवाहा 2010 में मंत्री बने और उन्हें यह बंगला आवंटित हुआ। लेकिन अक्टूबर 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान उन पर घूस लेने का आरोप लगा। अवधेश कुशवाहा का पैसे लेते हुए वीडियो वायरल हुआ तो नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा मांग लिया। अवधेश कुशवाहा को अपने कार्यकाल समाप्त होने से 2 महीने पहले ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत हुई और आरजेडी कोटे से आलोक मेहता सहकारिता मंत्री बने और उन्हें यह बंगला आवंटित हुआ। आलोक मेहता केवल 18 महीने ही मंत्री रह पाए क्योंकि पिछले साल नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बना ली और आलोक मेहता इस बंगले में रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। आलोक मेहता भी कुशवाहा जाति से आते हैं।
पिछले साल प्रदेश में जदयू-भाजपा की सरकार बनने के बाद कुमारी मंजू वर्मा नीतीश कैबिनेट में इकलौती मंत्री बनीं और उन्हें समाज कल्याण विभाग का जिम्मा मिला। मंत्री रहते हुए मंजू वर्मा को भी स्ट्रैंड रोड का बंगला नंबर 6 आवंटित किया गया मगर उनका भी वही हाल हुआ। मंजू वर्मा भी केवल 1 साल तक मंत्री रह पाईं और इस बंगले में रहते हुए उन्होंने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन