उत्तराखण्ड में भारी बारिश, भूस्खलन और हादसों का दौर जारी है। नदी तो नदी, बरसाती नालों तक ने कहर बरपा रखा है। सैकड़ों एकड़ फसलें फसलें पानी में डूब चुकी है। सभी पहाड़ी इलाकों में हर तरफ पानी और कीचड़ है। सैकड़ों गांवों का संपर्क मुख्यालयों से टूटा हुआ है। इसमें जिंदगी की रफ्तार पूरी तरह रूक गई है। फसलें बर्बाद होने से किसानों में उदासी है। जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। जेसीबी मशीनें काम में जुटी हैं लेकिन पानी ने जिंदगी को पानी-पानी कर बेमानी बना दिया है। वहीं दूसरी तरफ भारी बरसात के दौर में भी पौड़ी के पाबो ब्लॉक के निवासी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ब्लॉक में लगे हैंडपंप के भरोसे यहां के हजारों निवासी हैं। यहां की पेयजल लाईनें भारी बारिश में मिट्टी धंसने में क्षतिग्रस्त हो चुकी है, लेकिन इसे ठीक करने की जहमत अब तक जल संस्थान ने उठाना उचित नहीं समझा। वहीं इलाके के कई हैंडपंप खराब हो गये हैं तो कई में से बरसात में मटमैला पानी निकल रहा है।जिसे पीना बीमारियों को घर में बुलाना है।

पौड़ी जल संस्थान के नकारेपन की वजह से पाबो ब्लॉक के लोग मीलों चलकर प्राकृतिक जलस्त्रोतों से या ब्लॉक के पास लगे हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर हैं। लेकिन रोजमर्रा के काम के लिये इतना पानी भरना और उसे ढोकर घर तक लाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि इसमें किसी भी परिवार का दम निकलना तय है। वहीं विभाग का कहना है कि हैंडपंप को बनाने की गति तेज है। तब तक टैंकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है। वहीं जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एस एस गुप्ता क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों को जल्द ठीक कराने का आश्वासन ही दे रहे हैं।

पानी की सप्लाई बाधित होने से लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई है। महिलाओं और बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है।गिने चुने हैंडपंपों में साफ निकल निकल रहा है।जिस पर ग्रामीणें को सुबह-शाम लाईनें लगानी पड़ रही है।जिससे ग्रामीण परेशान हैं और जल संस्थान के अधिकारी सिर्फ दावा करते दिख रहे हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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