राफेल फायटर जेट सौदे को लेकर राजनीति गर्मा गई है। कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार के इस डील पर सवाल उठा रही है। वहीं सरकार ने इस मामले पर कांग्रेस को जवाब दिया है। कल रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद संबंधी सौदे से जुड़े आरोपों को ‘‘शर्मनाक’’ करार दते हुए कहा कि इस तरह के आरोप सशस्त्र बलों के लिए नुकसानदेह हैं।

बता दें कि कांग्रेस ने कल आरोप लगाया था कि एक कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ने ‘‘समूचा  राफेल सौदा’’ ही बदल दिया है। वहीं इस पर जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सौदे को लेकर कलह सशस्त्र बलों के लिए नुकसानदायक होगी। उन्होंने कहा कि वायुसेना की फौरी जरूरत ही इस करार को करने की अहम वजह थी। उन्होंने कहा कि 36 राफेल विमानों के लिए अंतिम करार पर सितंबर 2016 में दस्तखत किए गए। इससे पहले भारत और फ्रांस के बीच पांच दौर की लंबी चर्चा हुई और इसे सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भी मंजूरी दी थी।

निर्मला सीतारमण ने प्रति विमान ज्यादा कीमत चुकाने के कांग्रेस के आरोप का भी बचाव करते हुए कहा कि यूपीए के समय 136 विमानों को खरीदने के लिए जिस कीमत पर बात हो रही थी, उससे काफी कम कीमत में ये विमान खरीदे गए। उन्होंने कहा, ‘अब कांग्रेस सौदे की कीमत पर सवाल उठाकर राजनीति कर रही है। इससे दुख होता है। सरकार ने राफेल खरीदारी में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है।’ उन्होंने कहा कि अब इस सौदे पर झगड़ा सशस्त्र बलों का अपमान है। तकनीक के स्थानांतरण की शर्त सौदे से बाहर रखने पर उन्होंने कहा कि 36 विमानों के लिए ऐसा करना फायदे की बात नहीं थी।

वहीं रक्षा मंत्री के बयान पर कांग्रेस ने दोबारा पलटवार किया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने आरोप लगाया कि राफेल सौदे को लेकर निर्मला सीतारमण देश को गुमराह कर रही हैं। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है। सुरजेवाला ने कहा कि रक्षा खरीद राजनीति का विषय नहीं हो सकता और सीतारमण रक्षा मंत्रालय परिसर का इस्तेमाल  राजनीतिक छींटाकशी के लिए कर रही हैं।

गौरतलब है कि संप्रग सरकार के दौरान हो रहे सौदे में एक राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये पड़ रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे 1570 करोड़ रुपये प्रति विमान के हिसाब से खरीद रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here