Satya Pal Malik ने फिर दी केंद्र को सलाह, बोलें कांग्रेस नेता Srinivas BV,’हमारी नही, तो कम से कम अपनो की सुन लो’

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Srinivas BV

Satya Pal Malik ने एक बार फिर से केंद्र सरकार को किसान आंदोलन खत्म करवाने को लेकर सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार किसानों को लिखित में MSP की Garrantee दे देगी तो, यह मसला जल्द हल हो जाएगा है। उनकी बात पर कांग्रेस नेता Srinivas BV ने लिखा है कि हमारी नही, तो कम से कम अपनो की सुन लो।

Satya Pal Malik का बयान

मेघालय के राज्यपाल और किसानों का कई बार समर्थन कर चुके सत्यपाल मलिक ने कहा कि, केंद्र सरकार यदि कानूनी तौर पर MSP Guarantee देती है तो किसानों का आंदोलन खत्म हो जाएगा। यहां पर सिर्फ एक ही मांग है केंद्र सरकार पूरा क्यों नहीं कर रही है। MSP को लेकर किसान कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।

गौरतलब है पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून के खिलाफ पिछले 1 साल से दिल्ली की दहलीज पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान तीनों कानूनों को काला कह रहे हैं और इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं।

Srinivas BV ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता Srinivas BV ने ट्वीट किया कि कश्मीर से लेकर किसान आंदोलन तक, गवर्नर सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार की किसान-विरोधी नियत पर सवाल खड़े किए हैं। हमारी नही, तो कम से कम अपनो की सुन लो।

क्या है कृषि कानून 2020 ?

  1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020

इस के अनुसार किसान अपनी फसले अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है। यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं। साथ ही अच्छा दाम मिलेगा।

  • मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।

  • आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020

आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।

विरोध के कारण

इस कानून के कारण किसानों में इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा।

साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।

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