गैंगस्टर सोहराबुद्दीन, उनकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी पर विशेष सीबीआई अदालत ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सीबीआई की जांच राजनीतिक नेताओं को फंसाने के लिए ‘पूर्व कल्पित और पूर्व निर्धारित’ थ्योरी पर आधारित थी। यह टिप्पणी विशेष सीबीआई अदालत के जज एसजे शर्मा ने इस मामले में 21 दिसंबर को दिए अपने 350 पेज के निर्णय में की थी।

जज शर्मा ने तीन जिंदगियों के खात्मे पर दुख जताया था, लेकिन सबूतों के अभाव में गुजरात व राजस्थान पुलिस के पुलिसकर्मियों समेत सभी 22 आरोपियों को इस मामले में बरी कर दिया था। हालांकि निर्णय की प्रतिलिपि अनुपलब्ध थी, लेकिन शुक्रवार को मीडिया के लिए इस निर्णय के कुछ हिस्सों को जारी किया गया। अपने निर्णय में जज शर्मा ने कहा, उनके पूर्ववर्ती जज एमबी गोसावी ने आरोपी नंबर-16 (भाजपा अध्यक्ष अमित शाह) को बरी करने के प्रार्थनापत्र पर निर्णय जारी करते हुए टिप्पणी की थी कि यह जांच ‘राजनीति से प्रेरित’ थी।

जज शर्मा ने आगे कहा, मेरे सामने रखी गई पूरी सामग्री पर निष्पक्ष विचार करने और गवाहों व सबूतों में से प्रत्येक की बारीकी से जांच करने के बाद, मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सीबीआई जैसी एक प्रमुख जांच एजेंसी के पास राजनीतिक नेताओं को फंसाने की नीयत वाली एक पूर्व-निर्धारित थ्योरी और एक स्क्रिप्ट थी। निर्णय में आगे है कि सीबीआई इस मामले की जांच करने के दौरान सत्य तक पहुंचने के बजाय कुछ और काम कर रही थी।

विशेष सीबीआई अदालत के जज शर्मा ने कहा, ‘यह पूरी तरह स्पष्ट है कि सीबीआई को सत्य की तलाश करने के बजाय एक खास पूर्व कल्पित और पूर्व निर्धारित थ्योरी को साबित करने की ज्यादा चिंता थी। सीबीआई ने कानून के मुताबिक, जांच करने के बजाय अपने लक्ष्य पर पहुंचने के लिए काम किया।

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