एक तरफ चीन अपने फायदे के लिए पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभा रहा है, वहीं दूसरी ओर वह मुस्लिमों पर जुल्म की इंतेहा पार कर रहा है। यूं तो चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ होने वाले अत्याचार की कई खबरें में मीडिया में आती, उन्होंने चीन में उइगर मुसलमानों के साथ होनेवाले सभी अत्याचारों की पोल खोली है। महिला बताती है कि वहां रहनेवाले उइगर मुसलमान हमेशा इस डर में जीते हैं कि ना जाने कब उन्हें सरकार का कोई शख्स उठाकर ले जाए और परिवार और बच्चों से दूर कहीं नजरबंद कर दे। उन्हें यह तक नहीं पता होता कि वे कहां हैं, कब छूटेंगे और अपने परिवार से फिर कभी मिल भी पाएंगे या नहीं।

महिला ने इंडिपेंडेंट के लिए लिखे अपने लेख में कहा, ‘हमारे पास हमारी अपनी भाषा, अपना कल्चर और अपना संगीत है, लेकिन हम इस्लाम को मानते हैं और इसी वजह से चीन हम पर अत्याचार करता है।’ गुलनाज नाम की यह महिला फिलहाल सुरक्षित है और अपने माता-पिता के साथ लंदन में रह रही हैं। वह जब 11 साल की थी तब चीन में रहती थीं। गुलनाज बताती हैं कि उस वक्त उन्हें यही डर रहता था कि अगर कुछ गलत हुआ तो उनके माता-पिता भी उन्हें नहीं बचा पाएंगे।

गुलनाज ने बताया है कि चीन में एक बच्चे का नियम खत्म हो चुका है, इसके बाद भी चीनी प्रशासन उइगर समाज के लोगों पर पैनी नजर रखती है। जब-तब इस समाज के किसी भी महिला का गर्भपात कर दिया जाता है। उसने बताया है कि गर्भपात के दौरान ही उनकी एक पड़ोसन की जान चली गई थी। इस घटना के बाद ही उनके परिवार ने चीन छोड़ने का फैसला लिया। महिला ने बताया कि चीन से निकलकर वह यूएई में रहने चली गईं, लेकिन चीनी दूतावास यहां भी उनपर नजर रखता था। आखिरकार उनका परिवार लंदन में रह रहा हैं।

गुलनाज ने लिखा है कि 1949 में पूर्वी तुर्कस्तान पर चीन ने कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से यहां बच्चों को कुरान से दूर किया जाने लगा। इसके बाद मस्जिदों पर पाबंदी लगाई गई। धीरे-धीरे चीन की दखल और बढ़ी और उन्होंने रमजान, दाढ़ी बढ़ाना, बच्चों के इस्लामिक नाम रखने तक पर रोक लगाने लगा। उइगर समाज के लोगों को आर्थिक मोर्चे पर कमजोर करने के लिए चीन ने चीनी भाषा न आने पर इस समाज के लोगों को नौकरी देने से मना करने लगा। महिला के आलेख में दावा किया गया है कि कैद किए जाने वाले उइगर लोगों का अंग भंग कर दिया जाता है। इसके अलावा उनके अंगों की तस्करी तक की जाती है। महिला ने उइगर मुसलमानों के घर के बाहर लग रहे क्यूआर कोड सिस्टम का भी जिक्र किया है।

गुलनाज ने बताया है कि वह इस आलेख को इसलिए लिख पा रही हैं क्योंकि फिलहालर उनका परिवार लंदन में है। जब वह 11 साल की थी तब वह चीन में रहती थीं। वह लिखती हैं कि जब वह चीन में थीं तो उनके मन में इतना डर था कि अगर वह चीनी पुलिस या प्रशासन के चंगुल में फंस जाएंगी तो शायद उसके मां-पिता भी उसे नहीं बचा पाएंगे।

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