देश में आज कल गाय के नाम पर सियासत की जा रही है या उनकी रक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। हमारी आंखों के सामने रोज भूख और प्यास से गायें मर रही हैं। लेकिन उनके चारे की चिंता किसी को नहीं होती है। पहले छत्तीसगढ़ फिर राजस्थान, फिर दिल्ली और एक बार फिर छत्तीसगढ़ में 30 गायों की मौत हो गई। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर दर्जनों गाय बेमौत मारी गई हैं। घटना बलौदाबाजार जिले के रोहासी गांव की है। जहां गोशाला में 30 गायें भूख और प्यास से मर गईं।  गोशाला को यहां कांजी हाउस के नाम से जाना जाता है।

कांजी हाउस में लावारिस हालत में घूमने फिरने वाली गायों को रखा जाता है।  फिर जुर्माना अदा करने के बाद मालिक अपनी गायों को छुड़ाता है।  बताया जाता है कि रोहासी गांव की ग्राम पंचायत ने बस्ती के बाहर स्थित गोशाला में गांव में आवारा घूमने वाली लावारिस गायों को रखा था। हफ्तेभर से यहां लगभग सौ गायें इकट्ठा हो गई थीं। चार दिनों से गायों को दाना पानी नहीं मिला जिससे भूख और प्यास के मारे 30 गायें मर गईं। वहीं प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस स्टेशन में भी दी गई है।

गायों की मौत के बाद गौशाला से आने लगी थी बदबू

मामले का खुलासा तब हुआ जब दो दिनों से इस गोशाला से बदबू आने लगी। स्थानीय ग्रामीणों ने गोशाला में झांका तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। वहां कई गायें मृत दिखाई दे रही थीं। ग्रामीणों ने मामले की शिकायत जिला पंचायत के अधिकारियों से की। गोशाला का दरवाजा खोला गया तो भूखी प्यासी तमाम गायों को यहां से छोड़ा गया वहीं मौके में 30 गाय मृत हालत में पाई गईं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गाय के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां ही सेंकी जाती हैं ? क्या गौरक्षा के नाम पर सिर्फ मॉब लिंचिग की घटनाएं की जाती हैं ? इन गायों के चारे का इंतजाम क्यों नहीं किया जाता है ? क्यों भूख और प्यास से बेगुनाह जानवरों की मौत हो जाती है ? गायों की मौत का आखिर जिम्मेदार कौन है ? गोरक्षकों को आखिर इनके चारे की चिंता क्यों नहीं ?

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