Allahabad High Court ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से पूछा, ‘फर्जी वकीलों को पकड़ने के लिए क्‍या कदम उठाए’

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Allahabad High Court
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Allahabad High Court ने प्रदेश में वकालत कर रहे फर्जी वकीलों के सत्यापन को लेकर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल (Uttar Pradesh Bar Council) से पूछा है कि वह बताएं कि इसका पता लगाने की कौन सी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र (Justice Manoj Mishra) व न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी (Justice Jayant Banerjee) की खंडपीठ ने शक्ति प्रताप सिंह (Shakti Pratap Singh) की याचिका पर दिया है।

याचिका में कहा गया है कि विपक्षी की वकालत की डिग्री फर्जी है। बार काउंसिल में शिकायत भी की गई है। परन्तु कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका दाखिल कर इस सम्बन्ध में पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया है कि जिसमें प्रदेश बार काउंसिल को ऐसे मामलों का पता लगाकर कार्रवाई करने का निर्देश है।

अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को

हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर की तिथि तय की है और उस तिथि पर यूपी बार काउंसिल को ऐसे फर्जी वकीलों की शिकायतों का पता लगाने को लेकर बार काउंसिल द्वारा अपनाई जा रही प्रकिया से कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से पूछा है कि क्या उसने जाली डिग्री के आधार पर प्रैक्टिस कर रहे कथित फर्जी वकीलों के खिलाफ शिकायतों के सत्यापन के संबंध में प्रक्रिया तैयार की है। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जयंत बनर्जी की खंडपीठ शक्ति प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तीसरा प्रतिवादी एक नकली वकील है जिसके खिलाफ सत्यापन के लिए यूपी बार काउंसिल में शिकायत की गई थी, हालांकि उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अजयिंदर सांगवान बनाम बार काउंसिल ऑफ दिल्ली केस

याचिकाकर्ता के वकील ने अजयिंदर सांगवान बनाम बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और अन्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला दिया, ‌जिसमें फर्जी वकीलों का पता लगाने के लिए राज्य बार काउंसिल को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। इस पृष्ठभूमि में यूपी बार काउंसिल से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने मामले को 25 अक्टूबर, 2021 को अतिरिक्त सूची में रखने का निर्देश दिया है। हाल ही में केरल हाईकोर्ट के समक्ष एक फर्जी महिला वकील का मामला समाने आया था, जिसमें सेसी जेवियर नाम की एक महिला ने केरल के अलाप्पुझा (अलेप्पी) में एलएलबी की डिग्री और स्टेट बार काउंसिल में नामांकन के बिना दो साल से ज्यादा समय तक वकालत की थी।

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