Gyannvapi Masjid-Kashi Vishwanath Mandir मामले में Allahabad High Court का फैसला, मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण पर रोक

0
518
Kashi Vishwanath Mandir-ज्ञानवापी मस्जिद
Kashi Vishwanath Mandir-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में Allahabad High Court का फैसला

Gyannvapi Masjid और Kashi Vishwanath Mandir मामले में Allahabad High Court ने अपना फैसला दे दिया है। कोर्ट ने वाराणसी सिविल कोर्ट के 8 अप्रैल के फैसले को पलटते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है। वाराणसी सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल को मस्जिद परिसर की जांच के लिए एएसआई सर्वेक्षण का आदेश दिया था।

इस मामले को लेकर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की तरफ से इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील कर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में पहले से मामले पर फैसला सुरक्षित होने का हवाला देते हुए कहा गया कि हाईकोर्ट के रिजर्व फैसला आने तक एएसआई सर्वेक्षण पर रोक लगाई जाती है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की तरफ से दायर की गई याचिका में पूजा स्थल (विशेष प्रवधान) अधिनियम 1991 के आदेश की अनदेखी का भी आरोप लगाया गया था।

अंजुमन इन्तेजामियां कमेटी (Anjuman Intejamian Committee) और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट (High Court) में एक याचिका लगाकर मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसके बाद वाराणसी के सिविल जज ने 8 अप्रैल 2021 को मस्जिद परिसर का ASI सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।

Kashi Vishwanath Mandir-ज्ञानवापी मस्जिद का क्या है मामला ?

आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इस विवादित मस्जिद के नीचे ज्योतिर्लिंग है। यही नहीं ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी प्रदर्शित है। दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब (Aurangzeb) ने 1664 में नष्ट कर दिया था। फिर इसके अवशेषों से मस्जिद बनवाई गई, जिसे मंदिर की जमीन के एक हिस्से पर ज्ञानवापसी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में 1991 में वाराणसी कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल हुआ था। इस याचिका कि जरिए ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी गई। लेकिन कुछ ही दिनों बाद मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act) 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर आदेश दिया।  हालांकि स्टे ऑर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और फैसले के बाद 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई।

Fast Track Court ने यह दिया था फैसला

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में  8 अप्रैल को फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सर्वेक्षण को मंजूरी देते हुए कहा था कि सर्वेक्षण का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। साथ ही केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का अध्यन करने निर्देश दिया गया था। 

विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का हुआ निर्माण

याचिकाकर्ता ने दावा दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। साल 1991 से चल रहे इस विवाद में 2 अप्रैल को सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) के सिविल जज ने दोनों पक्षों की सर्वेक्षण के मुद्दे पर बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

यह भी पढ़ें

बाबरी मस्जिद विध्वंस: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशी का बयान दर्ज

15 जुलाई को AIMPLB बैठक, मंदिर-मस्जिद और तीन तलाक मसले पर होगी चर्चा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here