कैसे बना Bangladesh, क्या थी Mukti Bahini, भारत क्यों मनाता है Vijay Diwas, जानिए सब कुछ यहां…

0
1784
Vijay Diwas
Vijay Diwas

Bangladesh के स्वतंत्रता संघर्ष में Mukti Bahini के ‘स्वतंत्रता सेनानियों’ का बहुत बड़ा हाथ था। या अगर हम यह कहें कि बांग्लादेश आज जिस खुली हवा में सांस ले रहा है उसका सारा श्रेय मुक्ति बाहिनी को जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा।

Mukti Bahini
Mukti Bahini

तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान के जुझारू लड़ाकों ने गुरिल्ला युद्ध के जरिये Bangladesh के मुक्ति आंदोलन को ऐसी धार दी कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति याह्या खान और Zulfikar Ali Bhutto को शेख मुजीबुर्रहमान के सामने घुटने टेकने पड़े।

Bangladesh
zulfikar ali bhutto & Mujeeburahman

Bangladesh कैसे बना

पूर्वी पाकिस्तान के सामान्य नागरिकों ने पश्चिमी पाकिस्तान की सेना के खिलाफ भारत के सहयोग से मुक्ति युद्ध लड़ा। जिसके कारण पाकिस्तान ने 16 दिसंबर 1971 को हथियार डाल दिये और इस तरह से पूर्वी पाकिस्तान Bangladesh में बदल गया।

Bangladesh
Mukti Bahini

पाकिस्तान के अत्याचारों से त्रस्त आकर 7 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर्रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को चौतरफा संघर्ष के लिए ललकार लगाई। तब Mukti Bahini यानी आजाद सेना या फिर बांग्‍लादेश फोर्सेज का गठन हुआ। पाकिस्‍तान आज भी इसे एक आतंकी संगठन मानता है क्‍योंकि इसी मुक्ति बाहिनी के कारण साल 1971 में उसे पूर्वी पाकिस्‍तान को खोना पड़ा था और उसकी जगह नया देश Bangladesh अस्तित्व में आया।

Bangladesh
Mukti Bahini

दरअसल इस संघर्ष के पीछे सबसे बड़ी कहानी यह है कि पश्चिमी पाकिस्तान में 97 फीसदी ऊर्दू भाषी मुस्लिम थे जबकि पूर्वी पाकिस्तान में 85 फीसदी बांग्लाभाषी मुसलमान थे। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान में गतिरोध की नींव तब पड़ी जब साल 1947 में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने एक भाषण में कहा कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा उर्दू होगी।

Bangladesh
Muhammad Ali Jinnah

जिन्ना के इस भाषण से पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लाभाषी मुसलमानों को परेशानी होने लगी क्योंकि उनकी तादात वहां बहुत ज्यादा थी। अंत में पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली मुसलमानों ने इससे परेशान होकर बड़े पैमाने पर इसका विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिसके कारण पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच की दूरियां बढ़ने लगीं।

Bangladesh
Protest Against pakistan

लगभग दो दशक के बाद बांग्लादेश यानी उस समय के पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने 1970 के राष्ट्रीय आम चुनावों में शेख मुजिबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी को 313 सीटों में से 167 सीटों पर जीत दिलाकर पाकिस्तान की बागडोर सौंपने का फैसला किया लेकिन जुल्फ़िकार अली भुट्टो की पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी जो कि केवल 88 सीटें ही जीत पाई थी। भुट्टों ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या ख़ान के साथ मिलकर एक षणयंत्र रचा। जिसके तहत राष्ट्रपति याह्या खान ने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया।

zulfikar ali bhutto Yahya Khan
zulfikar ali bhutto & Yahya Khan

मार्शल लॉ के तरह पाकिस्तान ने शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ़्तार कर मियांवाली जेल में बंद डाल दिया। पश्चिमी पाकिस्तानी ने पूर्वी पाकिस्तान में मुजिब के समर्थकों को दबाने के लिए “ऑपरेशन सर्चलाइट” के नाम पर 25 मार्च 1971 की रात 11:30 बजे बड़े पैमाने पर नरसंहार किया।

Pakistan Army in Bangladesh
Genocide by Pakistan Army

Bangladesh में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ

उस नरसंहार में करीब 3 लाख बांग्लादेशियों की हत्या हुई, हजारों महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार हुआ। जिसके कारण वहां की स्थिति बहुत ही घातक हो गई। बंगालियों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न के चलते पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में बंगालियों ने वहां से पलायन किया और करीब 1 करोड़ के आसपास की संख्या में लोग भारत की सीमा में प्रवेश कर गये।

December 1971
Bengali refugees

इंदिरा गांधी जो कि उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मसले को उठाया लेकिन विश्व के अन्य देशों ने इस मामले में कोई रूचि नहीं दिखाई। अंत में हारकर पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के बढ़ते अत्याचार से दुखी होकर भारतीय फौज ने 3 दिसंबर, 1971 को हमला बोल दिया था।

16 3
Bangladesh War 1971

उससे पहले अप्रैल 1971 को इंदिरा गांधी ने बांग्‍लादेश फोर्सेज के लिए आर्थिक और मिलिट्री सपोर्ट की मंजूरी दे दी थी। उसके बाद Bangladesh की प्रांतीय सरकार की तरफ से कोलकाता में एक सचिवालय भी स्‍थापित किया गया।

6 10
Indian Army

इंदिरा गांधी की इस पहल के बाद भारत की थल, वायु और नौसेना ने भी अपने सैन्य क्षेत्रों को पूर्वी पाकिस्तान की Mukti Bahini के लिए खोल दिए।

7 9
Sam Manekshaw

Mukti Bahini के लड़ाकों को भारतीय सेना ने ट्रेनिंग दी

इतना ही नहीं भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मसलन बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम, नागलैंड, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में मुक्ति बाहिनी के लड़ाकों को ट्रेनिंग देने के लिए कैंप भी लगाये गये। साथ ही Mukti Bahin को भारत की सीमा में बिना रोकटोक आने की मंजूरी भी दे दी गई।

Mukti Bahini new
Mukti Bahini

साल 1965 के युद्ध के बाद यह दूसरा मौका था, जब भारत-पाकिस्तान की फौजें आमने सामने थीं। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से Bangladesh को अलग करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन की धमकियों को भी अनदेखा कर दिया।

15 6

अमेरिका ने पाकिस्तान के पक्ष में बंगाल की खाड़ी में अपना परमाणु बम से लैस नौसेना का 7वां बेड़ा भारत की ओर बढ़ा दिया लेकिन दूसरी ओर से भारती ओर से जैसे ही रूस ने अपनी आंखें दिखाई। अमेरिका तुरंत खामोश हो गया।

3 12
Bangladesh War 1971

भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध Bangladesh लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। 13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए।

2 16
Pakistan Surrender 1971

भारतीय फौज ने करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसे सबसे कम समय तक चले युद्ध के तौर पर भी देखा जाता है।

17 6
Bangladesh Instrument of Surrender

पाकिस्तान ने 8 जनवरी 1971 को शेख मुजीबुर्रहमान को रिहा किया। इसके बाद शेख मुजीबुर्रहमान इंग्‍लैंड गये, जहां वो दो दिन रुकने के बाद दो घंटे के लिए दिल्ली पहुंचे और फिर Bangladesh चले गये। उनका ये दिल्ली दौरा सिर्फ दो घंटे का था, लेकिन इस दौरे ने उन्हें बंगबंधु के तौर पर स्थापित कर दिया।

18 1
Sheikh Mujibur Rahman & Indira Gandhi

इस युद्ध में मुंह की खाने वाली पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। पाकिस्तान के सरेंडर के फौरन बाद भारत पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में मान्यता दे दी।

1 24
Bangladesh Surrender

इसके साथ ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश को सदस्य बनाने की भी मांग कर दी लेकिन यूएन में वोटों के आधार पर चीन, पाकिस्तान और अमेरिका ने भारत के इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया।

India Bangladesh
Sheikh Mujibur Rahman & Indira Gandhi

जिसके बाद इंदिरा गांधी ने साल 1972 में पाकिस्तान के साथ शिमला समझौत किया। इस समझौते के मुताबिक पाकिसातन ने शर्त रखी कि यही भारत पाकिस्तानी युद्ध कैदियों को रिहा करता है तो बदले में पाकिस्तान बांग्लादेश को मान्यता दे देगा। जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया।

shimla accord 1972
Shimla Accord 1972

उस समय भारत में करीब 90,000 पाकिस्तानी युद्धबंदी थे, जिन्हें रिहा कर दिया गया। इसके साथ ही भारत ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान की जो 13,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया था उसे भी पाकिस्तान को वापस कर दिया। हालांकि भारत ने 804 वर्ग किलोमीटर के कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्रों को अपने पास ही रखा।

Shimla
Shimla Accord 1972

वैसे शिमला समझौते से भारत की जनता बहुत खुश नहीं थी लेकिन उसके बावजूद तत्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लोकप्रियता अपने शीर्ष पर पहुंच गई थी। साल 1971 में हुए पाकिस्तान के खिलाफ इस युद्ध में जीत के बाद हर साल भारत 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है।

इसे भी पढ़ें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here