Book Review: वामपंथी नेताओं के प्रति पूर्वाग्रह को दूर करती है ‘इंडियन कॉमरेड एके रॉय- हीरो ऑफ ग्राउंड पॉलिटिक्स’

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'इंडियन कॉमरेड एके रॉय- हीरो ऑफ ग्राउंड पॉलिटिक्स'

‘इंडियन कॉमरेड एके रॉय- हीरो ऑफ ग्राउंड पॉलिटिक्स’, उन लोगों को बिल्कुल पढ़नी चाहिए जो झारखंड के मौजूदा स्वरूप में आने और उसके पूरे ऐतिहासिक विकास को जानने में रुचि रखते हैं। लेखक बंधुओं, सचिन झा शेखर और केआरजे कुंदन, ने एके रॉय की कहानी कहने के बहाने झारखंड की कहानी किस्सागोई के अंदाज में आसानी से कही है।

झारखंड निर्माण के संघर्ष की कहानी

किताब विषयवस्तु के नजरिए से बहुत समृद्ध है। बहुत ही अच्छा शोध किया गया है। लेखकों ने किताब में एके रॉय की कहानी कहते हुए झारखंड निर्माण के संघर्ष के बारे में बताया है। साथ ही बताया है कि जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर आजादी के बाद मुख्यधारा की राजनीति से नेताजी सुभाष और महात्मा गांधी के विचारों को भुलाने का जो काम किया गया वही स्थिति झारखंड गठन के बाद कॉमरेड रॉय साहब की हुई। यही नहीं लेखकों ने रॉय साहब में गांधी और सुभाष के दर्शन कराने की कोशिश की है।

दिलचस्प किस्से हैं शामिल

किताब को पढ़कर अंधकार का वो पर्दा उठता है जो आमतौर पर वामपंथी नेताओं के बारे में लोगों के मन मस्तिष्क में रहता है। किताब में जेपी और रॉय साहब की मुलाकात का वो किस्सा दिलचस्प अंदाज में कहा गया है जहां लेनिन के विदेशी दर्शन में भारत के बुद्ध का पुट है।

झारखंड के साथ-साथ राष्ट्रीय परिदृश्य के दर्शन

एके रॉय इंडियन कॉमरेड इसलिए हैं कि वे भारतीय विचारों को महज पिछड़ा नहीं कह देते हैं बल्कि उन्हीं विचारों के जरिए साम्यावाद को झारंखड के कोने -कोने में शोषितों और वंचितों तक पहुंचाने का काम करते हैं। किताब में लेखक झारखंड की मौजूदा स्थिति के बारे में भी बताते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि किताब सिर्फ झारखंड की राजनीति की धुरी पर ही नहीं घूमती है बल्कि लेखकों ने राष्ट्रीय राजनीति की झलकियां भी किताब में साथ ही साथ दिखाई हैं।

किताब में झारखंड में सतारूढ़ झामुमो के राजनीतिक इतिहास के बारे में बताया गया है। झारंखड की राजनीति, वहां के भूगोल, समाज, अर्थतंत्र और संस्कृति की झलक किताब में मिलती है। किताब खत्म होने पर आपके मन भी में आएगा कि रॉय साहब को उनका सही स्थान दिया जाना चाहिए। एक राजनीतिक संत को सच्ची श्रद्धांजलि तो मिलनी ही चाहिए।

पुस्तक की कीमत

पेपरबैक – 200 रुपये
हार्डकवर – 250 रुपये

प्रकाशक

नवजागरण प्रकाशन

पृष्ठ संख्या- 167

लेखक परिचय

सचिन झा शेखर ने भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। इस समय apnnews.in में कार्यरत हैं। पूर्व में इंडियन एक्सप्रेस समूह और एनडीटीवी के साथ काम किया है। मूल रूप से झारखंड के रहने वाले हैं। सचिन ने झारखंड के मुद्दों पर कई रिपोर्ट लिखी हैं। पर्यावरण और राजनीति के विषय पर लिखते रहे हैं। लोकतंत्र, मानवाधिकार के मुद्दों पर कई आंदोलनों में इनकी सक्रिय भागीदारी रही है। संपर्क- मोबाइल : 9599873804, ई-मेल jha15sachin@gmail.com

के. आर. जे. कुंदन : गांधी पीस स्टडीज में शोधार्थी हैं। पिछले लगभग एक दशक से झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इतिहास, एंथ्रोपोलॉजी और रसायन शास्त्र के अच्छे जानकार माने जाते हैं। गांधी, दीनदयाल और भारतीय दर्शन पर लगातार लिखते रहे हैं। एके रॉय विचार मंच के संरक्षक हैं। संपर्क- मोबाइल 8969581492, ई-मेल: krjkundan@gmail.com

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