China ने उपराष्ट्रपति Venkaiah Naidu के अरुणाचल प्रदेश दौरे का किया विरोध, भारत ने दिया करारा जवाब

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हाल ही में हुए भारत चीन वार्ता (India – China Dialogue) विफल रहने और भारत और चीन द्वारा एक-दूसरे पर आरोप लगाने के दो दिन बाद, बीजिंग ने पिछले सप्ताह उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का विरोध किया। कहा, भारत ऐसी कार्रवाई करना बंद करें, जो सीमा मुद्दे को जटिल बनाए।

अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा

वहीं विदेश मंत्रालय ने बीजिंग के बयान को खारिज करते हुए कहा, अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और भारतीय नेताओं के भारत के किसी राज्य के दौरे पर चीन की आपत्ति तर्क से परे है।अरुणाचल प्रदेश में उपराष्ट्रपति ने राज्य विधानसभा को संबोधित किया और साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित राज्य नेतृत्व से मिलने के अलावा, ईटानगर में विधानसभा पुस्तकालय, दोरजी खांडू सभागार और एक पेपर रीसाइक्लिंग इकाई का उद्घाटन किया।

पहली बार बीजिंग ने नहीं की है आपत्ति

भारतीय नेताओं के अरुणाचल प्रदेश जाने पर बीजिंग की यह आपत्ति पहली बार नहीं आई है, इससे पहले भी 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) और 2020 में गृह मंत्री अमित शाह की यात्राओं पर चीन आपत्ति जता चुका है। हर बार, इसकी आपत्ति पर भारत सरकार से तीखी प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन बुधवार को नई दिल्ली ने भी सीमा की स्थिति को रेखांकित किया और प्रतिक्रिया का जवाब दिया।

चीन पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश में 90,000 वर्ग किमी दावा करता है

चीन पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश में 90,000 वर्ग किमी तक का दावा करता है, जबकि भारत चीन को पश्चिमी क्षेत्र में अक्साई चीन में 38,000 वर्ग किमी पर अवैध रूप से कब्जा करने का दावा करता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने वेंकैया नायडू की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है। उन्होंने कहा, “चीनी सरकार कभी भी भारत द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देती और संबंधित क्षेत्र में भारतीय नेताओं के दौरे का कड़ा विरोध करती है। हम भारत से चीन की प्रमुख चिंताओं का ईमानदारी से निराकरण करने का आग्रह करते हैं, भारत कोई भी ऐसी कार्रवाई करना बंद करें जो सीमा मुद्दे को और जटिल बनाए।

भारत ने कहा, खराब संबंधों के लिए चीन जिम्मेदार

वहीं एलएसी का मुद्दा उठाकर भारत दिखाना चाहता है कि संबंधों में गिरावट के पीछे बीजिंग जिम्मेदार है। जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा, “हमने चीनी आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा आज की गई टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। हम ऐसी टिप्पणियों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। भारतीय नेता नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश राज्य की यात्रा करते हैं जैसे वे भारत के किसी अन्य राज्य में करते हैं। भारतीय नेताओं की भारत के किसी एक राज्य की यात्रा पर चीन की आपत्ति भारतीय लोगों के समझ से परे है।

भारत ने दिया था सुझाव, चीन नहीं हुआ सहमत

बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए चीन भारत वार्ता के 13वें दौर के बाद भारत ने कहा कि उसके प्रतिनिधिमंडल ने स्थिति को हल करने के लिए सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष सहमत नहीं था। इस महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सैनिकों के 150 से अधिक चीनी सैनिकों का सामना करने के बाद करीब-करीब झड़प हुई थी। उन्होंने एक-दूसरे से धक्का-मुक्की की। वहीं अगस्त के अंत में लगभग 100 चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड के बाराहोती में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी।

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