Chirag Paswan की पार्टी का अब नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) हो गया है, चुनाव आयोग की तरफ से उनकी पार्टी को हेलीकॉप्टर चुनाव चिन्ह दिया गया है। बिहार में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनके प्रत्याशी इसी चुनाव चिन्ह का उपयोग करेंगे। बताते चलें कि रामविलास पासवान की सियासी विरासत को लेकर उनके बेटे चिराग पासवान और उनके भाई पशुपति कुमार पारस के बीच जंग पिुछले कुछ समय से विवाद चल रह है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को लेकर चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच विवाद को देखते हुए चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह (बंगला) को फ्रीज कर दिया था। इसके बाद दोनों की ओर से आयोग में नए नाम और चिन्ह को लेकर आवेदन दिया था। अब चुनाव आयोग ने चिराग पासवान की ओर से सुझाए गए नाम (लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास) और चुनाव चिह्न (हेलीकॉप्टर) पर अपनी मुहर लगा दी है। वहीं आयोग ने पशुपति पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नाम आवंटित किया है और उनकी पार्टी का नया चुनाव चिन्ह सिलाई मशीन होगा।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बिहार प्रदेश प्रवक्ता विनीत सिंह ने दुष्यंत कुमार के शायरी के सहारे षड्यंत्रकारियों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने दुष्यंत कुमार के चर्चित शायरी लिखते हुए कहा कि ‘तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं ‘। उसके बाद उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने आखिरकार मुहर लगा दी कि लोक जनशक्ति पार्टी चिराग पासवान जी की है, हमारी है! अब जनता चुनाव में षड्यंत्रकारियों को जवाब देगी ।
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चुनाव आयोग में पहुंचा था चुनाव चिह्न का मुद्दा
दरअसल लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद चाचा और भतीजे के बीच रामविलास पासवान के उत्तराधिकार को लेकर घमासान मचा है। कुछ समय पहले पार्टी के 5 सांसदों ने बगावत कर दी थी और बगावती सांसदों को चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) का समर्थन हासिल था। उनके नेतृत्व वाले गुट ने खुद को असली लोक जनशक्ति पार्टी बताते हुए स्पीकर से लोक सभा में जगह देने की मांग की और पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया।
बिहार में तारापुर और कुशेश्वर सीट पर उपचुनाव होने वाला है। चिराग पासवान ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है। पशुपति पारस का गुट ने इस घोषणा के खिलाफ है। इसी कारण से यह मुद्दा चुनाव आयोग में पहुंचा था।
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