Congress का बड़ा आरोप: क्या Rafale की सच्चाई छुपाने के लिए CBI में आधी रात को तख्ता पलट हुआ

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Rafale
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Congress ने एक बार फिर आरोपों की बोतल से राफेल का जिन्न बाहर निकाला है। फ्रांस के राफेल डील को रिश्वतखोरी का मकड़जाल बताते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर इस सौदे के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राफेल डील एक बहुत बड़ा घोटाला है। खेड़ा ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें जरा भी शक नहीं कि राफेल सौदे में जमकर कमीशनखोरी हुई है।

कांग्रेस ने कई बार राफेल मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कहा कि कांग्रेस इस बात की मांग एक बार फिर कर रही है कि यह जो इतना बड़ा घोटाला हुआ है, उसमें किस किस को कितना कमीशन मिला, इस बात की पूरी और निष्पक्ष जांच करानी चाहिए ताकि इस घोटाले की सच्चाई जनता के सामने आ सके। लेकिन इस जांच के लिए हमें आज की तारीख में सीबीआई पर भरोसा नहीं है क्योंकि वह अपने ही मामलों में काफी उलझी है।

प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सीधे सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने बहुत जल्दी तरीके से इस डील को अंजाम दिया। आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों बिना टेंडर को जो सौदा पहले 526 करोड़ रुपये का था, उसे 1600 करोड़ रुपये की ऊंची कीमत पर तय किया गया।

पार्टियों को मिलने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जांच कराई जानी चाहिए, जिससे पता चल सके कि किसे किसने कितना पैसा दिया। भाजपा को सुषेण गुप्ता ने चंदा दिया या फिर उनकी कंपनियों ने दिया।

कांग्रेस का आरोप, पीएम मोदी ने सीधे यह डील पक्की की है

पवन खेड़ा ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही एक क्लॉज हटाकर इस डील को पक्का किया। जिससे देश के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ। प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है, जिसे मोदी सरकार ने अंजाम दिया है।

4 अक्तूबर 2018 को भाजपा के पूर्व मंत्री और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा के साथ साथ भाजपा के एक और पूर्व मंत्री अरुण शौरी के साथ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे में हुए घोटाले को लेकर तत्कालीन सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को अपना हलफनामा देकर शिकायत सौंपी थी कि इस मामले की जांच करवाई जाए।

क्या राफेल की निष्पक्ष जांच से बचने के लिए आलोक वर्मा को हटाया गया

जब यह मामला सीबीआई के पास स्वतंत्र तरीके से पहुंचा तो मोदी सरकार भयभीत हो गई की उसने आनन फानन में सीबीआई के निदेशक के पद से रातोंरात आलोक वर्मा की छुट्टी कर दी। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि केंद्र की सरकार ने सीबीआई निदेशक के पद को अपने कब्जे में लेने के लिए दिल्ली पुलिस की सहायता से जबरदस्ती सीबीआई मुख्यालय पर कब्जा किया और फिर अपने चहेते अफसर एम नागेश्वर राव को कुर्सी पर बैठा दिया।

पवन खेड़ा ने कहा कि हम मोदी सरकार से सवाल पूछना चाहते हैं कि सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से राफेल कमीशन के मामले में लगे आरोपों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की?

राफेल की संख्या 126 से घटाकर 36 की गई, क्या इसके लिए वायुसेना से सलाह ली गई थी

पवन खेड़ा ने कहा कि क्या सीबीआई इस मामले को दफनाना चाहती है? क्या मोदी सरकार इसी वजह से आधी रात को सीबीआई मुख्यालय पर कब्जा करके सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख को हटाया?

प्रेस वार्ता के आखिर में कांग्रेस प्रवक्ता ने मोदी सरकार से सवाल किया कि क्या विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 करने के लिए आपने वायु सेना से परामर्श लिया था और डील के शर्तों में भारत को तकनीक ट्रांसफर के साथ-साथ HAL के द्वारा राफेल के निर्माण से इनकार क्यों किया गया।

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