डेंगू (Dengue) के मामलों में कई राज्यों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैैं, वहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा भी उन राज्यों में शामिल हैं, जहां डेंगू के मामलों की संख्या में उछाल आया है। पिछले हफ्ते, अधिकारियों ने यूपी में मौतों के पीछे डेंगू के एक विशेष प्रकार – DENV2 या D2 – को जिम्मेदार ठहराया था। भारत में हर साल मानसून के दौरान डेंगू के मामलों में तेज वृद्धि दर्ज की जाती है। आर्द्र मौसम और विभिन्न स्थानों पर एकत्रित वर्षा जल मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा देता है। डेंगू के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं।
D2 डेंगू क्या है?
डेंगू एक मच्छर जनित बुखार है जो पूरे भारत में आम है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रयास किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ संगठन ने इसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बताया है। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि यह रोग ज्यादातर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में और मुख्य रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में होतो है।
डेंगू वायरस (DENV) के चार वैरिएंट है सीरोटाइप – DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4। यानी डेंगू संभावित रूप से किसी व्यक्ति पर चार बार हमला कर सकता है। एक स्ट्रेन के संक्रमण को आम तौर पर उस स्ट्रेन के खिलाफ जीवन भर के लिए प्रतिरक्षा प्रदान करने के रूप में देखा जाता है, लेकिन शेष तीन स्ट्रेन से संक्रमित होना संभव है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कई DENV संक्रमण केवल हल्का प्रभाव डालते हैं, जबकि कुछ DENV एक तीव्र फ्लू जैसी बीमारी का कारण बन सकता है। जिसे गंभीर डेंगू कहा जाता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रकोप के बारे में भारतीय औषधीय अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक, बलराम भार्गव का कहना है कि पश्चिमी यूपी के जिलों में बुखार के मामलों और मौतों में वृद्धि के पीछे DENV-2 या D2 संस्करण था। फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ का स्ट्रेन भी घातक था।
D2 डेंगू घातक क्यों होता है?
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जहां लोगों को यह भी पता नहीं है कि वे गंभीर फ्लू जैसे लक्षणों से संक्रमित हैं, वहां कई बार यह ज्यादा खतरनाक होता है। गंभीर डेंगू को पहली बार 1950 के दशक में फिलीपींस और थाईलैंड में डेंगू महामारी के दौरान पहचाना गया था, अगर समय पर इलाज न कराया जाए या इस बीमारी को लेकर जागरूकता का अभाव हो तो इससे मौत भी हो सकती है। गंभीर डेंगू के मामले अब लगभग सभी एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों में देखे जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि डेंगू के एक स्ट्रेन के संक्रमण के बाद, दूसरे सीरोटाइप के लिए इम्युनिटी (क्रॉस-इम्यूनिटी) केवल आंशिक और अस्थायी होती है, अन्य सीरोटाइप्स द्वारा बाद में होने वाले संक्रमण से गंभीर डेंगू विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
D2 डेंगू के लक्षण क्या हैं?
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि डेंगू फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है और 2-7 दिनों तक रहता है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि तेज बुखार के साथ सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मतली, उल्टी, सूजन जैसी किसी भी तरह की शिकायत हो तो जांच कराएं। डब्ल्यूएचओ ने पेट दर्द, लगातार उल्टी जैसे गंभीर डेंगू के लक्षण बताए हैं।
डेंगू बुखार की रोकथाम ऐसे करें
1. ठोस कचरे का सही तरीके से निपटान करें। मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा देने वाले बर्तनों को हटा दें।
2. अपने बगीचे या छत के सभी कंटेनरों या खाली बर्तनों को ढक दें। आप इन्हें उल्टा भी रख सकते हैं।
3. पानी के भंडारण कंटेनर को नियमित रूप से साफ करें। जितना हो सके पानी इकट्ठा करने से बचें।
4. मच्छरों से त्वचा का संपर्क कम करें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए पूरी बाजू के, ढीले कपड़े पहनें।
5. स्प्रे, क्रीम और जाल जैसे मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें
6. सुनिश्चित करें कि आपके दरवाजे और खिड़कियों में छेद न हो।
7. यदि अत्यावश्यक नहीं है, तो डेंगू बुखार के जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें।
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