Dhanteras : धनतेरस के अवसर पर भगवान धन्वंतरि जी की पूजा के बाद ऐसे करें आरती

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Dhanteras Dhanvantari Aarti
Dhanteras Dhanvantari Aarti

Dhanteras 2021: देशभर में आज धनतेरस (Dhanteras) मनाया जा रहा है। आज ही राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भी मनाया जा रहा है। इस अवसर पर भगवान धन्‍वंतरि जी की पूजा करने के बाद उनकी आरती की जाती है। उधर धनतेरस के मौके पर बनारस में बाबा विश्‍वनाथ मंदिर को भी सजाया गया। इस मौके पर बाबा विश्‍वनाथ की पूजा अर्चना भी की गई।

धनतेरस पर मां लक्ष्‍मी के साथ महालक्ष्‍मी यंत्र की पूजा भी होती है। हर साल कार्तिक तेरस यानी 13वें दिन धनतेरस होता है। धनतेरस धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्‍वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कही जाती है।

इस दिन धन के देवता कुबेर, औषधि के देवता धनवंतरी और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस दिन खरीदारी करने को बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदने से घर में सुख और सौभाग्य का आगमन होता है।

दीपावली के महापर्व की शुरूआत धनतेरस के त्योहार से ही होती है लेकिन क्या आपको पता है कि धनतेरस का पर्व क्यों मनाया जाता है? क्या है धनतेरस का पौराणिक महत्व?

धनतेरस की पौराणिक कथा

धनतेरस के दिन धनकुबेर और धनवंतरी देव की पूजा होती है, इसलिए इस त्योहार को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस मनाने की कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं। उनमें से एक है समुद्र मंथन की कथा। समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के मुताबिक इस दिन ही भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। इसलिए उनके अवतरण दिवस के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है और उनका पूजन होता है। भगवान धनवंतरी को औषधि और चिकित्सा का देवता माना जाता है। वो स्वयं भगवान विष्णु का अंशावतार है और संपूर्ण संसार को आरोग्य प्रदान करते हैं।

इसके साथ ही धनतेरस मनाने के पीछे भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा का भी उल्लेख आता है। भागवत पुराण के अनुसार धनतेरस के दिन ही वामन अवतार ने असुराज बलि से दान में तीनों लोक मांग कर देवताओं को उनकी खोई हुई संपत्ति और स्वर्ग प्रदान किया था। इसी उपलक्ष्य में देवताओं नें धनतेरस का पर्व मनाया था।

धनतेरस की पूजा के उपरांत यह आरती की जाती है।

श्री भगवान धन्वंतरि जी की आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

धनतेरस पर नित्य योग का संकल्प लेकर अपने सबसे बड़े धन स्वास्थ्य के संरक्षण का संकल्प लें, स्वास्थ्य, सद्ज्ञान, सद्भाव, सत्कर्म, संस्कार,समृद्धि एवं योगपूर्वक कर्म योग – ये धनतेरस के सच्चे धन हैं। सभी को ये धन प्राप्त हों।

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