किसानों द्वारा जाम सड़कों को खुलवाने के लिए हरियाणा सरकार पहुंची Supreme Court

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Supreme Court
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किसान आंदोलन (Farmers Protest) को 1 साल होने वाला है। तीनों कृषि कानून (Farm Law) के विरोध में देश के अन्नदाता दिल्ली की दहलीज (Delhi Border) पर इंसाफ के लिए बैठे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून को रद्द नहीं करेगी तब वे राजधानी के दर से नहीं उठेंगे।

किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की मांग

किसानों के आंदोलन के कारण गाजीपुर बॉर्डर (Gazipur Border), टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) और सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) बंद है। इस आंदोलन से सबसे अधिक दिक्कत आम जतना को हो रही है। सड़कें बंद हैं आम जनता 10 मिनट के रास्ते को 20 मिनट में तय कर रही है।

किसानों द्वारा बंद किए गए रास्तों को खुलवाने के लिए हरियाणा सरकार (Government of Haryana) कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गई है। हरियाणा सरकार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है।

हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दायर याचिका में संयुक्त किसान मोर्चा सहित 43 संगठनों को पक्षकार बनाने की मांग की है। सरकार ने अपनी अर्जी में किसान नेता राकेश सिंह टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल का नाम शामिल किया है।

क्या चाहते हैं शहर के लोग अपना काम बंद कर दें

बता दें कि हरियाणा सरकार से पहले नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने भी सड़कों को किसानों द्वारा जाम किए जाने को लेकर याचिका दायर की थी। इस बीच किसानों ने जंतर -मंतर पर आंदोलन करने की मांग की थी और सुप्रीम कोर्ट में एक याचिक भी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्तूबर को सुनवाई करते हुए किसानों को खूब फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक तो आप लोग कहते हैं कि कृषि कानून पर भरोसा नहीं है दूसरी ओर उसी कानून के खिलाफ लड़ने के लिए कानून का सहारा लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से पूछा था कि क्या आपको देश के कानून पर भरोसा नहीं है? न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने सवाल किया कि किसान महापंचायत क्या चाहती है कि शहर के लोग अपना बिजनेस करना बंद कर दें?

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