कभी जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाला Rampal कैसे बन गया कबीर का अवतार, जानिए पूरी कहानी

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Sant Rampal
How Rampal Singh Jatin became the Rampal, the incarnation of Kabir

अपने आप को कबीर का अवतार बताने वाला Rampal फिलहाल सात साल से हिसार सेंट्रल जेल में बंद है। जेल में होने के बावजूद भी आज रामपाल के लाखों अनुयायी हैं। आज जिस रामपाल के लाखों भक्‍त हैं एक समय वो भी साधारण इंसान की तरह नौकरी पेशा आदमी था। चालिए आपको बताते हैं कि कैसे रामपाल सिंह जतिन कबीर का अवतार रामपाल बन गया।

Rampal का किसान परिवार में हुआ था जन्‍म

Rampal का जन्म हरियाणा के सोनीपत (Sonipat) जिले में हुआ था। उनके पिता नंद लाल एक किसान थे और उनकी माता इंदिरा देवी एक गृहिणी थी। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्‍त करने के बाद उन्‍होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। रामपाल की जीवनी के अनुसार वह पहले हिंदू देवताओं जैसे हनुमान, कृष्ण और खाटूश्याम के बहुत बड़े भक्त थे। लेकिन उनकी भक्ति से उन्‍हें न कोई शांति मिली और न ही उनका कल्‍याण हुआ।

रामदेवानंद से मुलाकात के बाद कबीर पंथ से जुड़े

Rampal के अनुसार जब वो अपनी जिंदगी में परेशान थे तो इस दौरान एक दिन उनकी मुलाकात कबीर पंथ के आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामदेवानंद से हुई। स्वामी रामदेवानंद (Swami Ramdevanand) ने उन्हें बताया कि वह प्रचलित धार्मिक प्रथाओं के माध्यम से मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते हैं और न ही कल्‍याण प्राप्‍त कर सकते हैं। Rampal ने इसके बाद कई आध्यात्मिक पुस्तकों जैसे भगवद गीता, कबीर सागर, गरीब दास का सत ग्रंथ और सभी पुराण का अध्ययन किया। उनके अनुसार इन किताबों में स्वामी रामदेवानंद की बात सच साबित हुई। उन्होंने 17 फरवरी 1988 को कबीर पंथ में दीक्षा ली।

1994 में स्वामी रामदेवानंद ने उन्हें उपदेश देना शुरू करने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने हरियाणा के कई गांवों और शहरों का दौरा करके वहां उपदेश दिए और स्थानीय लोकप्रियता हासिल की। अपने काम को बढ़ाने के लिए उन्होंने मई 1995 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 1999 में रामपाल ने रोहतक जिले के करोथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की और 2000 के दशक के दौरान उनके कई अन्य आश्रमों खुल गए और हरियाणा के रोहतक और झज्जर जिलों में उनसे कई अनुयायी जुड़ गए।

रामपाल के विचार

satlok ashram
Satlok Ashram

कबीर को सर्वोच्च देवता मानने वाले रामपाल यह दावा करते हैं कि वो उनका अवतार है। उनका कहना है कि वेद, गीता, कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब सहित सभी प्रमुख धार्मिक ग्रंथ कबीर को सर्वोच्च देवता के रूप में नामित करते हैं। रामपाल मंदिर के दर्शन, दहेज, मूर्ति पूजा, दान, अस्पृश्यता, व्यभिचार और अश्लील गायन और नृत्य का विरोध करते हैं। वह तंबाकू और शराब के सेवन के सख्त खिलाफ हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह बहुत बड़ा पाप है और अगले जन्मों में अत्यधिक पीड़ा का कारण बनता है।

सत्यार्थ प्रकाश पर आपत्ति जताने पर हुआ था विरोध

साल 2006 में Rampal ने आर्य समाज के संस्‍थाप‍क स्‍वामी दयानंद सरस्‍वती (Swami Dayanand Saraswati) की किताब सत्यार्थ प्रकाश के कुछ हिस्सों पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई और इस आपत्ति के बाद जुलाई 2006 में करोंथा के सतलोक आश्रम में आर्य समाज के अनुयायियों और Rampal समर्थकों के बीच हिंसक टकराव में आर्य समाज के एक अनुयायी सोनू की मौत हो गई और 59 अन्य लोग घायल हो गए। इस हत्‍या का आरोप रामपाल पर लगाया गया और उन्‍हें गिरफ्तार किया गया। कई महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें 2008 में जमानत पर रिहा किया गया।

42 बार अदालत की सुनवाई को छोड़ी

Rampal
Rampal

Rampal जेल से जमानत पर तो बाहर आ गए थे लेकिन उनके मुकदमे चल रहे थे। इसके बावजूद भी 2010-14 के दौरान रामपाल ने 42 बार अदालत की सुनवाई को छोड़ा। इसी के चलते नवंबर 2014 में अदालत ने अदालत की अवमानना ​​के मामले में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया।

अनुयायियों के दखल के कारण पुलिस पहले गिरफ्तार नहीं कर पाई

हालांकि कोर्ट के द्वारा गिरफ्तारी का आदेश देने के बावजूद बरवाला में उनके सतलोक आश्रम परिसर में उनके पंद्रह हजार अनुयायियों की उपस्थिति के कारण पुलिस उन्हें कई दिनों तक गिरफ्तार नहीं कर पाई।

Rampal को अंततः 19 नवंबर 2014 की रात को उनके 900 से अधिक अनुयायियों के साथ देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, साजिश, अवैध हथियारों की जमाखोरी और आत्महत्या करने वालों को सहायता और उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 21 अगस्त 2014 को अदालत में गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोपों से बरी कर किया गया। अक्टूबर 2018 को हिसार की एक अदालत ने रामपाल को अपने चौदह अनुयायियों के साथ हत्या के दो मामलों में दोषी ठहराया था। दोनों मामलों में सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा के साथ-साथ 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

यह मामले सिद्ध हुए

11 अक्टूबर 2018 को रामपाल को दो मामलों में दोषी पाया गया था। दोनों मामले 2014 में बरवाला में उनके सतलोक आश्रम में उनके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान पांच महिलाओं और एक अठारह महीने के शिशु की मौत हो गई थी।

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