मुजफ्फरनगर दंगा यूपी के इतिहास का वह काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन इसे भूलाने की कोशिश जारी है। मुजफ्फनगर दंगा मामले में जाट और मुसलमान एक दूसरे के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने को तैयार हो गए हैं। दरअसल, मुजफ्फरनगर के मुस्लिम और जाट समुदाय के प्रतिनिधियों ने पांच दिन पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी। मुलायम के आवास पर हुई इस मुलाकात में मुजफ्फनगर में साल 2013 में हुए दंगे को लेकर चर्चा हुई। इस चर्चा के बाद दोनों समुदाय ने रविवार को दंगों में दायर मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है। बता दें कि 2013 में हुए इस दंगे में 1400 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
इन दंगों में कुतबा, कुतबी, पुरबलियां, काकड़ा और हदौली गांव प्रभावित हुए थे, जहां पर हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में इन पांच गांवों में से 29 केस दर्ज किए गए थे। लेकिन अब जाट और मुस्लिम नेताओं के बीच बने फॉर्म्युले पर सहमति के पांच दिन बाद दंगा प्रभावित पांच गांवों के दोनों ही समूहों और पीड़ितों ने अपने मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है। इस समझौते के तहत पांच गावों के 29 मुकदमें वापस लिए जाएंगे। इस दंगे में 63 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हजार लोग विस्थापित हो गए थे।
बता दें कि मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद एक कमेटी बनेगी जो इन मामलों को सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए काम करेगी। इस मामले पर बात करते हुए राष्ट्रीय जाट संरक्षण समिति के अध्यक्ष विपिन बालियां ने कहा “मुलायम सिंह के घर पर हुई बैठक में फैसला लेने के बाद हिंसा के शिकार गांव के लोग समझौता करने के लिए तैयार हो गए हैं।