Mamata Banerjee की नजर अब National Politics पर, BJP को देंगी कड़ी टक्कर, PK बने सलाहकार

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Mamta govt changes name of state, proposal sent to central government
Mamata Banerjee

Mamata Banerjee की पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) में जीत के बाद अब गोवा (Goa) पर नजर है। ममता बनर्जी अब गोवा दौरा करने की योजना बना रही है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे वहां से चुनाव लड़ सकती हैं। गोवा में टीएमसी (TMC) बीजेपी को मात देना चाहती है, बता दें कि गोवा में अगले साल चुनाव होने वाला है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों बंगाल से बाहर निकलकर देश की राजनीति में रूची ले रही हैं और इसके लिए उन्होंने एक टीम बनाई है, जो उन्हें सलाह देती हैं कि कब उन्हें क्या करना है और क्या बोलना है। ममता बनर्जी की टीम के मुख्य सलाहकार हैं अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) और रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Strategist Prashant Kishor)। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (Indian Political Action Committee) के 200 लोगों की एक टीम गोवा में टीएमसी के लिए काम कर रही है। राज्य में फरवरी 2022 के आसपास विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है और तृणमूल कांग्रेस पूरी तैयारी में है। इस टीम ने यहां राजनेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और राज्य के अन्य लोगों से मुलाकात की है।

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TMC देश भर में कर रही है विस्तार

बता दें कि इस साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections) में रिकॉर्ड जीत हासिल करने के बाद ममता और उनकी पार्टी के सदस्यों ने 2024 के आम चुनावों से पहले देश के अन्य हिस्सों में विस्तार योजना पर काम कर रही है। ममता के भतीजे और तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी (Trinamool MP Abhishek Banerjee) भी गोवा तैयारियों का जायजा लेने जाएंगे। इसके बाद ममता बनर्जी भी दौरा कर सकती हैं और अभियान की शुरुआत करेंगी।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि टीएमसी बंगाल में सक्रिय है और तटीय राज्य में उसकी कोई उपस्थिति नहीं है। गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं और यह त्रिपुरा से भी छोटी है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 और बीजेपी को 13 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बावजूद बीजेपी ने सरकार बनाई थी। टीएमसी कांग्रेस की इस कमजोरी का फायदा उठाना चाहती है। राज्य के लोगों ने पिछले चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मतदान किया था और वह फिर भी सत्ता में आई, ऐसे में तृणमूल गोवा वासियों को समझाएगी कि वे बीजेपी को तभी राज्य से बाहर कर सकते हैं, जब वे टीएमसी को वोट देंगे, अन्यथा अन्य दलों के विधायक चुनाव परिणाम के बाद भी भापजपा में जा सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी शिकस्त देने के बाद टीएमसी देश भर में इस बात का फायदा उठाना चाहती है कि भाजपा के सामने केवल ममता बनर्जी ही खड़ी हो सकती हैं, भाजपा को हटाना है तो ममता को सपोर्ट करो।

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ममता ने दिल्ली में कई पार्टी प्रमुखों से की मुलाकात

साल 2019 में आखिरी बार था, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली का दौरा किया था। दो साल बाद जब ममता बनर्जी दिल्ली आईं, तो वह चार दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी में रहीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi), कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी(Congress President Sonia Gandhi), दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) और द्रमुक सांसद कनिमोझी करुणानिधि (DMK MP Kanimozhi Karunanidhi) से मुलाकात की। वह एक फोन कॉल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार से जुड़ीं और एक लंबी बातचीत की। जब ममता दिल्ली में सक्रिय रूप से घूम रही थीं, उस समय एक व्यक्ति उनके साथ था। वो थे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, उन्हें सलाह देने और मार्गदर्शन के लिए प्रशांत उनके दौरे पर साथ रहे। ममता के साथ उनके भतीजे और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी थे ।

दिल्ली यात्रा ममता हर पल ममता के साथ रहे पीके

अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ममता के हर पल साथ रहे, वे हर दिन लंच ममता के साथ करते। दोपहर के भोजन में जहां बनर्जी पबड़ा माच खाती थीं और किशोर शाकाहारी थे, उन्हें तला हुआ बैंगन या भाजा परोसा जाता था। पूरे चार दिनों तक किशोर ममता के साथ रहे और लंच पर दिन के एजेंडे पर चर्चा करते। प्रशांत ने एक किस्सा साझा किया कि कैसे उनके तीन भाई मांसाहारी हैं, लेकिन चूंकि उनकी मां ने जोर देकर कहा था कि उनके कम से कम एक बेटे को शाकाहारी होना चाहिए, इसलिए उन्होंने शाकाहार का फैसला लिया। यही वजह है कि जिस टेबल पर लोग नॉनवेज खाना खाते हैं, उसी टेबल पर वह खाना भी खा पा रहे हैं।
प्रशांत ने इस दौरे पर तमिलनाडु के नेता और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन कनिमोझी की बहन के साथ बैठक के एजेंडे को लेकर सलाहकार की भूमिका निभाई और उनका मार्गदर्शन किया। किशोर ने अभिषेक के साथ मिलकर ममता की मीडिया के साथ बातचीत का आयोजन किया। किशोर की सिफारिश पर सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की सूची बनाई गई।

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PK की सलाह पर ममता ने अपना हास्य पक्ष रखा आगे

किशोर ने ममता को यह भी सलाह दी कि कैसे मीडिया का कुछ वर्ग उन्हें भड़काने की कोशिश करेगा, लेकिन अगर वह अपनी गुस्से की लकीर को खो देती है और मीडिया के सामने अपना हास्य पक्ष सामने लाती है, तो दबाव नकारात्मक नोट पर समाप्त नहीं होगा। उनकी सलाह पर ममता ने आपा नहीं खोया और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उनकी जीत के बाद मीडिया का मिजाज भी काफी सकारात्मक रहा।

दिल्ली की राजनीति में नई नहीं हैं ममता

प्रेस कांफ्रेंस करीब एक घंटे तक चली, लेकिन प्रशांत किशोर कहीं नजर नहीं आए। ममता दिल्ली की राजनीति में नई नहीं हैं। वह सात बार सांसद रही हैं, तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं, वह नरसिम्हा राव की मंत्रिपरिषद का हिस्सा रही हैं। इसलिए, वह दिल्ली की राजनीति को समझती है और उन्हें अपनी चाल चलने की कोई जल्दी नहीं है और किशोर मोर्चे की संरचना और यूपीए के पुनर्गठन पर समान विचार साझा कर रहे हैं।

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