Manish Gupta Murder Case: आखिर ख़ाकी कब तक होती रहेगी दागदार

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Year Ender 2021
Manish Gupta

Manish Gupta Murder Case में आखिरकार खाकी फिर हुई शर्मसार। उसके दामन पर पड़ ही गया बेकसूर मनीष गुप्ता के खून का दाग। आज प्रशासन और जनता के सामने सबसे प्रश्न तो यही खड़ा होता है कि आखिर दोष क्या था मनीष गुप्ता का, पुलिस ने इतने बर्बर तरीके से पीटा की उसकी मौत हो गई। अपराध के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की बात करने वाली सरकार में आखिर कैसे कोई पुलिस वाला कथित तौर पर किसी की इस कदर पिटाई कर सकता है कि उसकी मौत हो जाए। यह तो सीधे-सीधे कानून के इकबाल पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर कोई पुलिस वाला इतना अमानवीय कैसे हो सकता है कि बिना किसी कारण आधी रात किसी कमरे में घुसकर रूटीन चेकिंग के नाम पर किसी को पिटना शुरू कर दे। दरअसल इसमें उन पुलिस वाले से ज्यादा हमारे उस सिस्टम की जिम्मेदारी है, जिसमें कहा जाता है कि “सिस्टम तो ऐसे ही चलता है”।

क्या है पूरा मामला

इस “सिस्टम तो ऐसे ही चलता है” को समझने के लिए हमें पहले गोरखपुर की पूरी घटना को समझना होगा। कानपुर का एक प्रॉपटी डीलर मनीष गुप्ता गोरखपुर में अपने दो दोस्तों के साथ किसी काम से आता है। उसके दोनों दोस्त हरियाणा के रहने वाले थे। सभी एक होटल कृष्णा पैलेस में चेक-इन करते हैं। दिनभर काम खत्म करने के बाद रात में खाना खाने के बाद सभी होटल के अपने कमरे 512 में सोने की तैयारी कर रहे होते हैं। मनीष गुप्ता अपनी पत्नी मिनाक्षी गुप्ता से रात की आखिरी कॉल पर बात कर रहे थे।

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है। मनीष के मित्र दरवाजा खोलते हैं और सामने से इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह अन्य 5 पुलिसकर्मियों के साथ बिना किसी परमिशन के कमरे में दाखिल हो जाते हैं। पुलिस वाले बताते हैं कि ये रूटिन चेकइन है, कप्तान साहब (एसएसपी-गोरखपुर) का आदेश है। इसके बाद वो कमरे की तलाशी लेने लगते हैं और सभी से पूछताछ करने लगते हैं।

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मनीष को इस तरह से आधी रात बिना किसी वजह के परेशान किया जाना बेहद नगवार गुजरता है और वह पुलिस इंस्पेक्टर से कहता है कि आधी रात को आप ये कैसी चेकिंग कर रहे हैं, हम कोई आतंकवादी तो नहीं हैं। मनीष का इतना कहना था कि पुलिस इंस्पेक्टर को गुस्सा आ जाता है और मनीष की इस कदर पिटाई होती है बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है। मनीष के दोस्तों को कहना है कि घटना के समय इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह ने कथिततौर पर शराब पी रखी थी।

इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की विवादास्पद कार्यशैली

इस मामले में बतौर मुख्य आरोपी शामिल रामगढ़ताल थाने के इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह अपने विवादास्पद कारनामे के लिए पहले से कुख्यात हैं। सिपाही से पुलिस की नौकरी में भर्ती होने वाले जगत नारायण सिंह आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर के ओहदे तक पहुंचे हैं। इसी साल अगस्त में भी इन पर आरोप लगा था कि इनके थाने में पुलिस अभिरक्षा में एक युवक की मौत हो गई थी यानी कुल मिलाकर इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की कार्यशैली हमेशा विवादों के घेरे में रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किस आधार पर एसएसपी गोरखपुर ने इन्हें थाने की कमान सौंपी हुई थी।

डीएम और एसएसपी दोषियों की पैरवी करते हैं

उससे भी बड़ा खौफनाक मामला इस मामले में तब सामने आया जब एक वीडियो वायरल होता है बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज की पुलिस चौकी का। जिसमें जिले के डीएम और एसएसपी दोनों पीड़िता मिनाक्षी गुप्ता से कह रहे हैं कि आप एफआईआर मत करवाई। डीएम साहब तो यहां तक कह रहे हैं कि मैं आपको भाई होने के नाते कह रहा हूं कि इन्हें (घटना में शामिल पुलिसवालों को) माफ कर दीजीए।

इसके अलावा मिनाक्षी गुप्ता से यह भी कहा जाता है कि आप कहां कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ेंगी। सालों लग जाते हैं फैसले आने में। एक आईएएस और आईपीएस अधिकारी इस तरह की बात कर रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि इस मौत में जो लोग शामिल हैं उन्होंने गैरइरादन नहीं बल्कि जानबूझ मनीष की पिटाई की, जिससे उनकी मौत हो गई।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों शासन के इतने बड़े अधिकारी जो पूरे जिले के प्रमुख हैं। दोषियों को बचाने के लिए पीड़िता के सामने गुहार लगा रहे हैं। सोचिए कि अगर यह वीडियो सामने नहीं आता तो यह पता ही नहीं चलता कि गोरखपुर का पूरा जिला प्रशासन दोषियों को बचाने में इस तरह से लामबंद है।

अगर संघ लोक सेवा आयोग की इतनी कठिन परीक्षा को पास करके डीएम और एसएसपी के पद पर विराजमान अधिकारी दोषियों को बचाने के लिए मिन्नतें करेंगे तब तो यह सोचना होगा कि आखिर आयोग इनके जैसे अधिकारियों का चयन किस तरह से करता है। खैर वीडियो सामने आने के बाद शासन को इनके खिलाफ कड़ा एक्शन लेना चाहिए।

पुलिस द्वारा किसी बेकसूर की हत्या का यह पहला मामला नहीं है

वैसे देखा जाए तो पुलिसकर्मियों के द्वारा एक बेकसूर आम नागरिक को इस तरह से मौत के घाट उतारने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पुलिस के द्वारा अभिरक्षा में या चेकिंग के नाम पर लोगों की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है।

विवेक तिवारी हत्याकांड

वैसे देखा जाए तो पुलिसकर्मियों के द्वारा एक बेकसूर आम नागरिक को इस तरह से मौत के घाट उतारने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले हमें याद होगा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एप्पल के कर्मचारी विवेक तिवारी की पुलिसकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

गोमती नगर में हुई विवेक तिवारी की हत्याकांड में पुलिस द्वारा तर्क दिया गया कि 28 सितंरबर 2018 की रात विवेक तिवारी रात में गाड़ी से जा रहे थे, पुलिस वालों ने चेकिंग के लिए गाड़ी को रोकने की कोशिश की लेकिन विवेक ने गाड़ी नहीं रोकी।

मजबूरन पुलिस को गोली चलानी पड़ी और विवेक की मौत हो गई। लेकिन बाद में सच्चाई सामने आई की पुलिसवालों ने विवेक की गाड़ी की बोनट पर चढ़कर उसे प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी थी। इस मामले में भी सच्चाई सामने आने के बाद खाकी को शर्मसार होना पड़ा और पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करना पड़ा। विवेक तिवारी का मामला आज भी कोर्ट में विचाराधीन है।

इंद्रकांत त्रिपाठी हत्याकांड

अब बात करते हैं महोबा के क्रेशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी हत्याकांड की। 8 सितंबर 2020 को इंद्रकांत त्रिपाठी महोबा में अपने घर से कुछ दूरी पर संदिग्ध अवस्था में मृत पाये गये। इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि इंद्रकांत की हत्या गोली मारने से हुई है।

इस हत्याकांड में इंद्रकांत के भाई ने सीधे महोबा के एसपी आईपीएस अधिकारी मणीलाल पाटिदार पर आरोप लगाया कि एसपी मणीलाल उनके भाई से रंगदारी मांग रहे थे और नहीं देने पर उनकी हत्या कर दी गई। मामले ने जब तूल पकड़ा तब लखनऊ से महोबा के एसपी मणीलाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश हुआ। मणीलाल फरार है और आज उस पर 1 लाख रूपये का ईनाम है।

इसके अलावा राजस्थान में उसके घर पर कोर्ट के आदेश के कुर्की तक हो चुकी है लेकिन मणीलाल को सजा कब मिलेगा ये सवाल आज भी वैसे ही खड़ा है।

कुल मिलकर देखें तो “ठोंकने वाली” पुलिस कब अपराधियों की जगह मासूम नागरिकों को ठोंकने लगती है यह खुद उसे भी नहीं पता चलता है। इसलिए जरूरी है पुलिस सुधार के लिए आवश्यक कदम तत्काल उठाये जाएं और मनीष गुप्ता जैसे मामले में सख्त एक्शन लेकर जनता को यह भरोसा देना चाहिए कि कानून से उपर कोई नहीं है। कानून पालन कराने वाला अगर कानून तोड़ता है तो उसे ऐसी सजा देनी चाहिए जो पूरे समाज के लिए नजीर बने।

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