Mihirbhoj: कौन थे मिहिरभोज? जिनकी जयंती को लेकर आमने-सामने हैं राजपूत और गुर्जर

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सम्राट मिहिरभोज की विरासत को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज आमने-सामने है।

Mihirbhoj: इतिहासकारों के अनुसार मिहिरभोज कन्नोज के सम्राट थे। उन्होंने 836 ईस्वीं से लेकर 885 ईस्वीं तक शासन किया था। लगभग 50 साल तक उन्होंने इस राज्य पर शासन किया था। उनकी जाति को लेकर विवाद इस साल तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री (Chief Minister) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) द्वारा दादरी में उनके प्रतिमा का अनावरण किया जाना था। लेकिन उससे कुछ ही समय पहले किसी ने वहां लिखे गए गुर्जर शब्द पर कालिख पोत दी। जिसके बाद राजपूत और गुर्जर समाज आमने-सामने आ गए।

राजपूतों और गुर्जरों के क्या हैं दावें

हाल ही में ग्वालियर में सम्राट मिहिरभोज की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया जिसमें उन्हें गुर्जर बताया गया है। जिसके बाद राजपूत समाज की तरफ से इसका विरोध किया गया। उनका कहना था कि वो गुर्जर नहीं क्षत्रिय थे। वहीं उत्तर प्रदेश के शामली में भी एक प्रतिमा का अनावरण किया गया जिसमें उन्हें गुर्जर बताया गया। राजस्थान सरकार की तरफ से इस बात को माना गया है कि वो क्षत्रिय थे। मध्य प्रदेश सरकार का भी ऐसा ही मानना रहा है।

देश विदेश तक थी उनकी पहचान

सम्राट मिहिरभोज को लेकर कहा जाता है कि उनकी ख्याति देश विदेश में थी। काबुल के राजा ललिया शाही, नेपाल के राजा राघवदेव,कश्मीर के राजा अवन्ति वर्मन और असम के राजा उनके मित्र थे। अरब के खलीफा के साथ भी उनके रिश्ते थे। हालांकि बाद में , मुत्वक्कल, मुन्तशिर, मौतमिदादी सम्राट मिहिरभोज के दुश्मन बन गए थे।

महेंद्रपाल को दिया था अपना सिंहासन

सम्राट मिहिरभोज ने लगभग 50 साल तक राज करने के बाद अपने पुत्र महेंद्रपाल को सत्ता दी थी। 888 ईस्वी को 72 वर्ष की आयु में हुआ था।

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