राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार मंगलवार(19 दिसंबर) को अपने पद से रिटायर हो गए। जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने 20 दिसंबर 2012 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष के तौर पर पद संभाला था। उनके विदाई समारोह का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अपने भाषण से उद्घाटन किया। कार्यक्रम में सोली सोराबजी जैसे प्रख्यात न्यायविद शामिल थे।

जस्टिस स्वतंत्र कुमार का जन्म 31 दिसंबर 1947 को हुआ और अपनी बीए एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने 12 जुलाई 1 971 को दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन किया। उन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। दिल्ली हाईकोर्ट आने से पहले जस्टिस स्वतंत्र कुमार हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जज रहे, जस्टिस कुमार बंबई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे और फिर सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर भूमिका निभाई।

NGT अध्यक्ष के तौर पर जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने कई अहम और कड़े फैसले लिए जिसका व्यापक तौर पर असर हुआ।

यह रहे NGT के कुछ बड़े फैसले

  • यह जस्टिस स्वतंत्र कुमार के प्रयासों का ही नतीजा था कि गंगा एक्शन प्लान को लेकर 1990 से चल रहे एमसी मेहता के मामले पर अंतिम निर्देश दिया गया।
  • गंगा किनारे के 100 मीटर तक के हिस्से को नो डेवलेपमेंट ज़ोन घोषित किया और गंगा किनारे से 500 मीटर की दूरी में कूडा निस्तारण पर भी रोक लगा दी।  
  • दिल्‍ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्‍ली एनसीआर में दस साल से ज्यादा पुरानी डीज़ल और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के चलने पर रोक लगा दी गई।
  • कचरा प्रबंधन में लापरवाही बरतने पर दिल्‍ली के चार रेलवे स्टेशनों- आनंद विहार, विवेक विहार, शाहदरा और शकूरबस्ती स्टेशन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
  • 2015 में फरीदाबाद के QRG सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा बिना अनुमति और नियमों से ज़्यादा निर्माण करने पर 12 करोड़ का जुर्माना लगाया
  • यमुना डूब क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने के लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया।
  • और हाल ही में अमरनाथ गुफा में जयकारे लगाने पर रोक लगा दी।

इसके अलावा भी जस्टिस स्वतंत्र कुमार के कार्यकाल में NGT ने कई और महत्वपूर्ण फैसले लिए जिससे पर्यावरण को बचाने में खासी मदद मिली।

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