सच्चर रिपोर्ट में भी कहा गया था कि मुस्लिम समाज में शिक्षा की बड़ी कमी है। अगर मुस्लिम समाज का उत्थान सरकार चाहती है तो उनकी शिक्षा व्यवस्था पर खासा ध्यान देना होगा। अप्रत्यक्ष रूप से योगी सरकार इसी रास्ते पर चलते हुए मुस्लिम कन्याओं की शिक्षा पर जोर दे रही है। जी हां, केंद्र सरकार द्वारा हज के लिए दी जाने वाली 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी समाप्त किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से की सब्सिडी के बराबर 250 करोड़ रुपये की राशि मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार भी हज सब्सिडी खत्म करना चाहती है लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया।
बता दें कि मोदी सरकार ने इसी महीने हज सब्सिडी खत्म करने का ऐलान किया था। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि ‘बगैर किसी तुष्टिकरण के अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण’ करने की केंद्र सरकार की नीति के तहत यह फैसला किया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि हज सब्सिडी खत्म होने से बचने वाले पैसों को अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। हालांकि मामला कोर्ट में चला गया।
लेकिन यूपी में हज, वक्फ और अल्पसंख्यक कल्याण मामलों के मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने इस मामले में शनिवार को यह जानकारी दी कि सरकार का सीधा-साधा इरादा अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं को बढ़ावा देना है। उऩ्होंने कहा कि ‘इस राशि से मदरसे से लेकर पोस्ट ग्रैजुएट तक शिक्षा पा रहीं मुस्लिम छात्राओं को वजीफा और उच्च शिक्षा के लिए मेडिकल और इंजिनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश का खर्च भी मुहैया कराया जायेगा।’ उन्होंने बताया, ‘राज्य सरकार ने इसके अलावा प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जारी अन्य योजनाओं में अधिक से अधिक आबादी को लाभ पहुंचाने के लिए इन योजनाओं को लागू करने के मानकों में भी रियायत देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा है, जिसे मान लिया गया है। उन्होंने बताया, ‘अब यह केंद्र सरकार को तय करना है कि वह एक-चौथाई मुस्लिम आबादी होने पर भी जिले में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाएं संचालित करने के मानक में किस हद तक और क्या परिवर्तन करती है।
बता दें कि केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार मुस्लिम कन्याओं की शिक्षा पर पहले से जोर देती आई है। ऐसे में योगी सरकार की ये पहल मुस्लिम कन्याओं की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सकारात्मक असर लाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार तय नियम के अनुसार, अब तक उन्हीं जनपदों में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं के संचालन के लिए सब्सिडी देती रही है, जिनमें मुस्लिम आबादी का प्रतिशत एक-चौथाई से अधिक हो। इसके चलते उत्तर प्रदेश के 75 में से केवल 41 जिलों में ही ये योजनाएं संचालित हैं, जिनमें मथुरा भी शामिल है।’ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने बताया, ‘केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति जताई कि इन योजनाओं को लागू करने में तहसील के स्थान पर ग्राम पंचायत को इकाई माना जाए। इससे अधिक से अधिक मुस्लिम आबादी को अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं का लाभ उठाने का मौका मिलेगा।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार का मकसद प्रदेश में अब तक पिछड़ती चली आ रही इस अल्पसंख्यक आबादी का जीवन स्तर ऊपर उठाना है।