झारखंड अलग राज्य आंदोलन की पृष्ठभूमि और दिवंगत मार्क्सवादी चिंतक ए.के. रॉय की राजनीतिक जीवन पर लिखी गयी किताब इंडियन कॉमरेड ए.के.रॉय साम्यवाद के अलग संस्करण से परिचय करवाती है। युवा पत्रकार सचिन झा शेखर और सामाजिक कार्यकर्ता केआरजे कुंदन के द्वारा लिखी गयी इस किताब में साम्यवाद के देशज स्वरूप को चिन्हित किया गया है।

मुख्य रूप से चार चैप्टरों में विभाजित इस किताब के पहले पाठ में शरल भाषा में साम्यवाद को समझाया गया है। इस भाग में कार्ल मार्क्स से लेकर ए.के. रॉय तक विचारों को उस मानवतावादी विचारधारा के श्रृंखला का ही हिस्सा बताने का प्रयास किया गया है जिसकी शुरुआत भारत में गौतम बुद्ध जैसे महान संतों ने किया था।

किताब के दूसरे भाग में झारखंड अलग राज्य आंदोलन को विस्तार से और क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया है। इस भाग में ही आंतरिक उपनिवेशवाद, झारखंड में माफिया राज, गांव के शोषण, झारखंड मुक्ति मोर्चा के निर्माण, आपातकाल जैसी घटनाओं का निष्पक्षता के साथ वर्णन है। सत्ता में बैठे लोगों द्वारा लिखे जाने वाले इतिहास से अलग तार्किकता और फैक्ट के आधार पर बातें रखी गयी है।

किताब के तीसरे पाठ में ए.के. रॉय में गांधी और सुभाष दोनों की ही छवि को साबित करने का प्रयास लेखकों ने किया है। झारखंड अलग राज्य आंदोलनकारियों को उचित सम्मान नहीं मिलने की बात को भी किताब में उठाया गया है।

किताब के अंतिम हिस्से में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, वरिष्ठ पत्रकार परन्जॉय गुहा ठाकुरता,दीपांकर भट्टाचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव द्वारा रॉय के निधन के बाद लिखे गए उद्दगार को जगह दी गयी है। कम पन्नों और कम शब्दों में ही किताब में कई किस्सों और कई संदर्भों को समेंटने का प्रयास लेखकों ने किया है। जो लोग साम्यवाद के भारतीय स्वरूप, झारखंड और देश की राजनीति, मंडल और कमंडल आंदोलन के समाज पर प्रभाव। झारखंड अलग राज्य आंदोलन के इतिहास को पढ़ना चाहते हैं उनके लिए एक बेहतरीन किताब है’इंडियन कॉमरेड’ ए.के.रॉय।

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