खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी…..यह कविता 2002 में पहली और तीसरी कक्षा की हिंदी की पुस्तक में हुआ करती थी। इस कविता की लेखिका, कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का आज 117वां जन्मदिन है। सुभद्रा कुमारी को लेखिका, कवयित्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पहली महिला सत्याग्रही के नाम से जाना जाता है।

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 में प्रयागराज में हुआ था जिसे इलाहाबाद कहा जाता था। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नाम बदलकर फिर से प्रयागराज कर दिया है। झांसी की रानी कविता से दुनिया भर में नई पहचान बनाने वाली महान कवयित्री सुभद्र कुमारी ने 15 जनवरी 1948 में दुनिया को अलविदा कह दिया।

आज उनके जन्मदिन के अवसर पर लोग उनकी किवता को ट्विटर से लेकर फेसबुक पर शेयर कर रहे हैं। इस दिन को अहम बना रहें हैं वहीं गूगल ने खास डूडल बना कर सुभद्रा कुमारी चौहान के जन्मदिन को और खास बना दिया है।

गूगल के डूडल की बात करें तो सुभद्रा के आस पास झांसी की रानी को दर्शाया गया है जिसमें रानी लक्ष्मीबाई घोड़े पर सवार हैं वहीं दूसरी तरफ आजादी के लिए लड़ने वालों को भी दर्शाया गया है। वह पेपर पर कुछ लिख रहीं हैं चारों तरफ पेपर बिखरा हुआ है।

प्रयागराज के निहाल पुर की रहने वाली  सुभद्रा कुमारी चौहान की पहली कविता सिर्फ नौ साल की उम्र में ही प्रकाशित हो गई थी। उनकी हिंदी कविता ‘झांसी की रानी’ बहुत मशहूर है। बच्चें बच्चे की जुबान पर यह कविता है। सुभद्रा राष्ट्रीय चेतना की एक सजग लेखिका रही हैं।

उनके कुल दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए। दो कविता संग्रह का नाम है- मुकुल और त्रिधारा। तीन कहानी संग्रह का नाम है- मोती, उन्मादिनी और सीधे साधे चित्र। उनकी तमाम रचनाओं में ‘झांसी की रानी’ कविता सबसे ज्यादा मशहूर है। इसी कविता ने उन्हें जन-जन का कवि बना दिया।

कविता से हट कर सुभद्रा को आजादी का भी जुनून था। स्वाधीनता संग्राम में कई बार जेल यातनाएं सहने के बाद इन्होंने अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया है।

वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला थीं। सुभद्रा कुमारी ने भारत की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

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