Swami Vivekananda की वो 7 बातें जिसे सुनकर American भी हो गए थे मुग्ध….

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स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। यह अपने माता और पिता के 8 बच्चों में से एक थे। इनके पिता एक वकील थे। विवेकानंद (Vivekananda) ने सम्मपूर्ण विश्व को आध्यात्म, दर्शन और विज्ञान के समन्वय का ऐसा मार्ग दिखाया है जो सदियों तक मानव सभ्यता का पथ प्रदर्शन करता रहेगा। विवेकानंद (Vivekananda) ने आज ही के दिन साल 1893 में अमेरिका के शिकागो (Chicago of America) की धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर भाषण (Speech) दिया था।

उस समय यूरोप-अमेरिका (Europe-America) के लोग भारतवासियों (Indians) को बहुत ही हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयास किया कि स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। लेकिन एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें समय मिला। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ‘बहनों और भाइयों’ कहकर की इसके बाद उनके भाषण को सुनकर सभी लोग मुग्ध हो गए।

PM Narendra Modi कार्यक्रम को करेंगे संबोधित

जब भी स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की बात होती है तो अमेरिका के शिकागो (Chicago of America) की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए उनके भाषण को याद किया जाता है। बता दें कि विवेकानंद ने यह भाषण आज ही 11 सितंबर के दिन 125 साल पहले 1893 में दिया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी श्री रामकृष्ण मठ की ओर से कोएंबटूर (Coimbatore) में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।

आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद की वो 7 बातें

  1. उन्होनें अपने भाषण में कहा कि मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी। हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं। जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है।
  2. विवेकानंद जी ने कहा कि उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते हो।
  3. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपना पूरा ध्यान उसी काम में लगा दो और बाकी सब कुछ भूल जाओं ऐसा करने से आपके काम की सभी तारीफ करेंगे।
  4. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते। मैं आपको एक श्लोक सुनाना चाहूंगा, जिन्हें मैंने बचपन से स्मरण किया और दोहराया है। ‘रुचिनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव’ इसका अर्थ है जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली कई नदियां अंत में समुद्र में जाकर मिल जाती हैं। उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है जो देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें परंतु सभी भगवान तक ही जाते हैं।
  5. मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का भाषण सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से, और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।
  6. जब तक जीना है तब तक हमें कुछ न कुछ सिखते रहना चाहिए क्योकि अनुभव ही इस संसार के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होते है।
  7. जिस समय जिस काम के लिए आपने ठान लिया हो उसे उसी समय कर लेना चाहिए नही तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।

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