राम मंदिर ट्रस्ट जमीन घोटाला विवाद आग की तरह हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस मुद्दे में नाय मोड़ आया है। कहा जा रहा है कि प्रभु नाम रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जो जमीन मेयर के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय से खरीदी थी, वह नजूल (सरकारी) की है। यह फ्री होल्ड भी नहीं हुई थी। दीप को महज 20 लाख रुपये में यह जमीन बेचने वाले बड़ा स्थान दशरथ महल मंदिर के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने रविवार को खुद इसका खुलासा किया।

इस मुद्दे पर महंत ने मीडिया को बताया कि लैंड के मालकि महंत थे। और नजूल की जमीन होने के कारण मैंने यह जमीन दीप नारायण को सस्ते में लिख दी थी। उन्होंने बताया कि नजूल की जमीन पर कुछ मिलने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए सोचा जो फायदा मिल रहा है वही बहुत है।

महंत ने यह भी बताया कि उन्हें जमीन के लिए 30 लाख रुपये मिले थे जबकि इसकी लिखा-पढ़ी 20 लाख रुपये में हुई थी। उन्होंने कहा कि जमीन को ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेचने की जानकारी नहीं है। यह बहुत गलत हुआ है।

महंत के मुताबिक, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और उनके भतीजे दीप नारायण मेरे पास आए थे और जमीन को राम जन्मभूमि मंदिर के लिए लिखने को कहा था। मंदिर ट्रस्ट को सीधे जमीन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार मेरे पास नहीं आए। अगर वे आए होते तो यह जमीन उन्हें उसी कीमत पर लिख देता। मैंने तो राम मंदिर के निर्माण में सहयोग के लिए ही इसे बेच दिया।

विवाद को आग देने वाले आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने एक बार फिर बीजेपी पर तिखी टिप्पणी की है। संजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा, स्वयं प्रभु श्रीराम ने अनीति के विरुद्ध बोलने की प्रेरणा दी है तो आप किससे डर कर ख़ामोश हैं?

यह जमीन 28,090 रुपये/वर्ग मीटर की दर से ट्रस्ट को बेच दी गई, जबकि कोट रामचंद्र का सर्किल रेट 4,000 रुपये/वर्ग मीटर है। इस लेनदेन में भी ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र कानूनी गवाह के रूप में सूचीबद्ध हैं। दस्तावेज से पता चलता है कि दीप को ऑनलाइन 2.50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

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