कोरोना काल में डॉक्टर ही भगवान बने हैं। मरीज इनपर आंख बंद कर के भरोसा करते हैं। लेकिन देश में कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो इंसानियत के नाम पर धब्बा है। दरअसल यहां बात हो रही है, आगरा के पारस हॉस्पीटल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन की। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें साहब बता रहे है कि, अस्पताल में बेड खाली कराने के लिए कितने मरीजों को मौत के घाट उतारा।

गौरतलब है कि, कोरोना की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड फुल था। ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी। लोग अपनों की जान बचाने के लिए बेड और ऑक्सीजन के लिए मोटी रकम अदा कर रहे थे। इसी बात का फायदा पारस जैन ने उठाया। बेड खाली कराने के लिए इस डॉक्टर ने एक घिनौनी चाल चली।

मरीज हालत खराब होने के कारण अस्पताल से घर जान को तैयार नहीं थे। इस दौरान पारस जैन ने ऑक्सीजन बंद करने की चाल चली जिसमे 22 मरीजों की मौत हो गई। 26 अप्रैल को पहले मॉक ड्रिल यानी पूर्वाभ्यास हुआ कि आक्सीजन बंद करने से कितने मरीजों की जान जा सकती है और, अगले दिन पांच मिनट आक्सीजन आपूर्ति रोककर 22 मरीजों की जान ले ली गई।

वायरल वीडियो में डॉक्टर खुद बता रहा है कि, 26 अप्रैल की सुबह सात बजे ऑक्सीजन हटाने का मॉकड्रिल किया। जब आक्सीजन रोकी तो पांच मिनट में ही छंट गए 22 मरीज। 25-26 अप्रैल को जब कोविड पूरे उफान पर था, तब मेरे अस्पताल में 96 मरीज थे। आगरा में भी हाल खराब थे। हमने सोचा- मेरे बॉस अब समझ जाओ… डिस्चार्ज शुरू करो। आक्सीजन कहीं नहीं है, आपको बता दूं। कुछ लोग पेंडुलम बने रहे, नहीं जाएंगे-नहीं जाएंगे। मैंने कहा- छोड़ो, अब छांटो जिनकी आक्सीजन बंद हो सकती है। एक मॉक ड्रिल करके देख लो, समझ जाएंगे, कि कौन मरेगा या नहीं मरेगा। मॉक ड्रिल की तो छटपटा गए, नीले पड़ने लगे। और जब, आक्सीजन रोकी तो 22 छंट गए।

बता दें कि, इस अस्पताल पर कोरोना की पहली लहर में आगरा मंडल में कोरोना फैलाने का आरोप लगा है। मुकदमा भी चल रहा है। लेकिन फिर भी कोरोना की दूसरी लहर में इसे कोविड सेंटर बनाया गया। वीडियो वायरल होने के बाद डीएम पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

वायरल वीडियो में डॉक्टर खुद ही बता रहा है कि, किस तरह से पैसे की लालच में उसने 22 मरीजों को मौत के घाट उतार दिया। इस मुद्दे पर जैन ने सफाई पेश करते हुए बताया कि, मॉकड्रिल का मतलब ऑक्सीजन बंद करना नहीं था बल्कि ऑक्सीजन चेक करना था। मेरे वीडियो को गलत तरह से पेश किया गया है।

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