देश में बैंकिंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। इसके साथ ही स्वदेशी अपनाएं, देश बचाएं का नारा भी काफी प्रचलित है। इसी के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय मंच में भूचाल आ गया है। मोदी सरकार पेमेंट नेटवर्क रुपे प्रमोट करने लगी है, तो इंडस्ट्री के विदेशी दिग्गज रोने लगे। सबसे ज्यादा दिक्कत अमेरिकी कंपनी ‘मास्टरकार्ड’ को है। मास्टरकार्ड कंपनी का कहना है कि रुपे को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार राष्ट्रवाद का सहारा ले रही है। ऐसे में कंपनी को काफी घाटा हो रहा है और रुपे का विस्तार तेजी से हो रहा है। सिर्फ मास्टरकार्ड ही नहीं और भी कई कंपनियां हैं जो रुपे के बढ़ते विस्तार से काफी परेशान है। बताया जा रहा है कि रुपे की मजबूती से मास्टरकार्ड और वीजा, जैसी दिग्गज अमेरिकी पेमेंट कंपनियों का दबदबा खत्म हो चुका है। हालत यह हो गई कि भारत में 1 अरब डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स में आधे यानी 50 करोड़ कार्ड्स के लिए रुपे पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है।

बता दें कि जून महीने में अमेरिकी सरकार से की गई शिकायत में मास्टरकार्ड ने नई दिल्ली पर संरक्षणवादी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे विदेशी पेमेंट कंपनियों को नुकसान हो रहा है। दरअसल, मोदी सरकार लगातार स्वदेशी चीजें अपनाने के पक्ष में रहा हैं। मोदी ने देसी कार्ड पेमेंट नेटवर्क का यह कहते हुए बार-बार समर्थन किया है कि रुपे का इस्तेमाल करना, देश की सेवा करना है क्योंकि इसका ट्रांजैक्शन फी देश में ही रहता है, विदेश नहीं जाता। इससे देश में सड़कें, स्कूल और अस्पताल बनाने के लिए धन की जरूरत पूरी होगी।

वहीं दूसरी तरफ मास्टरकार्ड के वाइस प्रेजिडेंट ने अपने नोट में कहा कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की पीएम मोदी की नीति की सराहनीय है। लेकिन, उनका कहना है कि भारत सरकार ने कई संरक्षणवादी कदमों का ऐलान किया है जो वैश्विक कंपनियों के लिए घातक साबित हो रही हैं। अब देखना ये है कि भारत सरकार का इसपर क्या रुख होगा।

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