आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्टाइरीन गैस रिसाव मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को इस मुद्दे की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया और एक सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए है।

मुख्य न्यायाधीश जितेंद्र कुमार माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ललिता कान्नेग्नि की पीठ ने 6 मई और 7 मई की रात को हुए विशाखापत्तनम  हादसे में एलजी पॉलिमर कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव की घटना से संबंधित मामले मे सुनवाई की ।

पीठ ने कहा कि स्टालिन को खतरनाक पदार्थ माना जाता है| जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिसूचित है, जैसा कि रासायनिक (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया) नियम 1996 के अनुसार, खतरनाक और विषाक्त पदार्थों की सूची में भाग II मे इसको शामिल किया गया है , हालांकि नियमों के प्रावधानों के अनुपालन, जांच और मूल्यांकन के नियमो के अधीन किया गया था या नहीं ये जांच का विषय है।

खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात के प्रावधानों 1989 के तहत स्टाइलिन एक खतरनाक रसायन होने के नाते, औद्योगिक गतिविधि के दौरान व्यवसायी की कुछ जिम्मेदारियां हैं, जिसका अनुपालन दोनों का जांच और मूल्यांकन होना चाहिए|

हालांकि पीठ ने  कहा कि वर्तमान समय में मुख्य चिंता पीड़ितों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है, जहां वर्तमान स्थिति के अनुसार 8 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है और लगभग 300 लोग अस्पताल में भर्ती हैं।

पीठ को सूचित किया गया कि केंद्र सरकार ने आवश्यक कदम उठाने के लिए गौहाटी, गोवा और दमन और दीव राज्यों से एनडीआरएफ की टीमें तैयार की हैं। इसके अलावा एक विशेषज्ञ टीम को पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन करने और पीड़ितों को स्थानीय अस्पतालों में राज्य सरकार के द्वारा आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया है।

पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह विशाखापत्तनम में निजी अस्पतालों को खोलने के आदेश जारी करे ताकि जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके। पानी या अन्य पदार्थों को छिड़ककर स्टाइरीन गैस के रिसाव को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने हैं।

हालाकि पीठ ने  कहा कि आवश्यक राहत के उपाय करते समय, सरकार को कोरोना की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरियों का भी पालन करना है।

कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया गया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पूरी कार्रवाई राज्य के मुख्य सचिव की देखरेख में होनी चाहिए।विशाखापत्तनम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को इस मुद्दे की निगरानी के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  से अधिकारियों को नियुक्त करने का निर्देश दिए है और प्रधान जिला न्यायाधीश विशाखापत्तनम को इस मुद्दे पर राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थपित करने को कहा।

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता वाईआर रवि प्रसाद को इस मामले मे एमिकस क्यूरिया नियुक्त किया तथा मामले की अगली 20 मई को हो गई

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