जम्मू और कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्ज को खत्म करने के लिए दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 16 अगस्त को सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-35ए को असंवैधानिक करार देने की गुहार की गई है। इससे पहले जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों के विशेषाधिकार से संबंधित अनुच्छेद 35 ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई थी और केंद्र से उसका पक्ष पूछा था।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस मुद्दे पर कोई जवाब दाखिल नहीं करेगी और सिर्फ संवैधानिक मुद्दों पर बहस करेंगे। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि ये संवेदनशील मामला है और मामले में सभी हितधारकों से बात हो रही है और कोर्ट को फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन की मांग की जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस मांग पर बाद में विचार होगा। याचिकाओं में कहा गया है कि अनुच्छेद 35 A के चलते जम्मू-कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और वोट देने का हक नहीं है। साथ ही जम्मू कश्मीर की महिला कश्मीर से बाहर के व्यक्ति से शादी करने पर राज्य में सम्पति, रोजगार के तमाम हक खो देती है। उसके बच्चों को भी स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नहीं मिलता।

याचिकाओं में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद-35ए और जम्मू और कश्मीर संविधान के खंड-छह के प्रावधान विभाजन के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से कश्मीर आए लोगों के साथ भेदभावपूर्ण है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वो तीसरी पीढ़ी के लोग हैं लेकिन अब तक उन्हें जम्मू और कश्मीर के नागरिक को मिलने वाले लाभ नहीं मिल रहे हैं। अनुच्छेद 35ए 1954 में संविधान में राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार और सुविधाएं देता है।

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